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म २-३]
સમીક્ષામાવિષ્કરણ ४ " आचार्य उपाध्याय सरीखे उच्च पदस्थ मुनि स्वयं दो बार आहार करें और अन्य साधुओंको दो वार आहार करने में दोष बतलावे यह स्पष्ट अन्याय है, क्योंकि अधिक निर्दोष तप करनेवाला मुनि ही महान् हो सकता है और वही दुसरेको प्रायश्चित्त दे सकता है।"
आना प्रत्युत्तरमा जणाववानुं जे-बे वार आहारने उचित व्यक्तिनी नामावलीमा आचार्य अने उपाध्यायनांज नामो आप्यां छे तेम नहि, परन्तु अपदस्थ एवा वेयावश्चकार, तपस्वी, बाल अने ग्लान वगेरेनां पण नामो आप्यां छे. शास्त्रकार भगवन्तना अभिप्रायने बीलकुल वाजु पर राखी लेखके लेखिनी चलावी छे. आचार्य अने उपाध्याय बे वार ज आहार करे अने तेमां दोष नथी तथा अन्य मुनिवर्ग बे वार आहार न ज करी शके अने तेमां दोष छे आवु शास्त्रकार भगवान् फरमावता ज नथी. तेओ तो, पदस्थ हो या अपदस्थ हो मुनिवर्ग मात्रने माटे निर्वाह दशामां एक ज वार आहार वतावे छे. एकवारथी ज्यां निर्वाह न थतो होय, धर्मकार्यो सीदातां होय त्यां पुष्टालम्बनने लक्षमा राखीने बे वार पण आहार वतावे छे. आवा प्रसंगने उचित कोण व्यक्ति होय तेनां नाम जणावतां पदस्थमां जेम आचार्य, उपाध्यायनां नाम आप्यां तेम अपदस्थमां तपस्वी, बाल, ग्लान वगेरेनां नामो पण दर्शाव्यां छे. आ वात अमो प्रथम विस्तारथी चर्ची गया छीए।
फेर लेखके जणाव्यु हतुं जे निर्दोष तप करनार ज महान् थइ शके छे. आ वात जरूर व्याजबी ठरे. पण क्यारे? बाह्य अने आभ्यन्तर तपना १२ भेदोने आश्रीने जणाववामां आवे त्यारे. परंतु लेखके तो बे वार आहार नहि करता एकवार आहार करवो, आवा प्रसंगमां बाह्य तपना अमुक भेदने आश्रीने एकान्त भावे जणावेला छे. आ बात तो दिगंबरदर्शनने पण मान्य थइ शके तेम मथी, कारणके दिगंबर शास्त्रमा प्रस्तुत बाम तपनी विरहदशामां शुभ भावनारूप आभ्यन्तर तपना योगे केवलज्ञान पाम्यानां दृष्टान्त मोजुद छे. आ बाबतमां तो आ दिगंबर लेखकनी सामे दिगंबर संप्रदाय पण विरोध जाहेर करी शके छे । आचार्यादिक कदाच कारण विशेषे बे वार आहार करे तो पण अन्य अन्य भेदना तपनो प्रवाह तो चालु होइ शके छे ।
५ “बालक साधु साध्वी किस आयु तक समजे जांय, और वे कितनी आयु तक दो वार तथा कितनी आयु के बाद वे दिनमें एकवार भोजन करना प्रारंभ करे इसका भी कुछ निर्णय नहि हो सकता. जिससे कि उनकी उचित अनुचित चर्चाका निर्धारण हो सके।"
आना प्रत्युत्तरमा जणाववानुं जे-दाढीमूछना वाळ अथवा काख अने बस्तिना [नाभिनी नीचेना] भागमां वाळ न आव्या होय त्यांसुधी
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