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मांडवगढ के तारापुर मंदिर का शिलालेख
संग्राहक व संपादक --
श्रीयुत नंदलालजी लोढा, बदनावर ( मालवा )
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जिस शिलालेख का चित्र इस अंक के प्रारम्भ में छपा है :(१) ||८०|| श्री जिनाय नमः जयति परमतत्त्वानंद केलीविलासः त्रिभुवनमहनीयः सर्व्वसंपन्निवासः (२) दलितविषय दोषो रिक्तजन्मप्रयासः । प्रचुरनुपमधामालंकृतः श्री सुपासः ॥ १ संवत १५५१ वर्षे शाके (३) १४१६ (प्र) वैसाख सुदी षष्टी तिथौ शुक्रवासरे पुनर्वसु नक्षत्रे खलची वंशे सुरताण श्रीग्यासदीन विजय ( ४ ) राज्ये । तस्य पुत्र सुलतान श्री नासिरसा हि युवराज्या मंत्रीश्वर माफरल मलिक श्री पुंजराज बांधव मुंजराज ( ५ ) सहिते || श्री श्रीमालज्ञातिय बुहरा गोत्रे । बुहरा रणमल्लभार्या रयणादे । पुत्र बहरा श्री पारसभार्या उभया (६) कुलानंददायिनी सत्पुत्ररत्नगर्भा मटकू । सत्पुत्र बुहरा गोपाला उभय कुलालंकरणा । सुशीला भार्या पुनी (७) पुत्र संग्राम जीझा । बुहरा संग्राम भार्या करमाई । जीझाभार्या जीवादे प्रमुख सकुटुम्ब युतेन ॥ श्री भिन्नमाल | (८) वडगच्छे श्री वादीदेवसूरि संताने । सुगुरु श्री वीरदेवसूरिः । तत्पट्टे श्री अमरप्रभ सूरिः तत्पट्टालंकार विजयवतां (९) गच्छ नायक पूज्य श्री श्री कनकप्रभ सूरीश्वराणां । उपदेशेन || प्रगट प्रतापमल्लेन | परोपकारकरणचतुरेग (१०) निजभुजोपार्जित विक्तयय पुण्य कार्य सुजन्म सफलीकरणेन । राजराजेन्द्र सभासंशोभितेन । सज्जन जन (११) मानस राजहंसेन । श्री शत्रुंजयादि तीर्थावतार चतुष्टय पट्टनिर्मापणेन । श्री देवगुरु आज्ञा पालन तत्परेण । सर्व (१२) कार्य विदुरेण । श्रीमाल ज्ञाति बुहरारंगा (2) विभूषणेन । सर्वदा श्री जिनधर्म सकर्मकरण निर्दूषणेन । श्रीमन् । (१३) मंडपाचल निवासीय विजयवन् बुहरा श्री गोपालेन । मंडपपुर्यात् दक्षिण दिग् विभागे । तलहटयां । श्री तारापुरे (१४) सुपुण्यार्थे | मनोवांछित दायक सप्तम श्री सुपार्श्व जिनेन्द्रस्य सर्वजनसं जनिताल्हादः सुप्रसादः --- प्रसादः कारित: (१५) स गोपाल: शिलाभरण विलसत्वृत्तिरमलो । विनीतः प्रज्ञावान् विविध मुक्तारम्भ निपुणः || जिनाधीनः स्वांतः (१६) सुगुरुचरणाराधनपरः पुनीभार्यायुक्तो नुभवति गृहस्थाश्रमसुखं ॥ १ ॥ चिरं नंदतु ॥ सर्वशुभं भवतु || श्रीरस्तु ॥ संक्षिप्त अर्थ
श्री जिनेश्वर प्रभु को नमस्कार हो । परम तत्त्वरूपी आनंद की क्रीडा में विलास करनेवाले, तीनों जगत के पूजनीय, सर्व संपत्तियों के स्थान भूत, विषय दोष का चूर्ण किया है जिसने और जन्म का प्रयास निष्फल किया है जिसने, अत्यंत अनुपम तेज से
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