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લુપ્તપ્રાયઃ જનચાં કી સુચી
५४८
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कर्ता
“जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास" में उल्लिखितः ग्रन्थ
कर्ता
उल्लेख की पृष्ठ संख्या १ पंचकल्प २ ज्योतिषकरंड टीका
पादलिप्तसूरि ३ हरिवंश चरित्र
विमलसूरि
टि. १२४ ४ नयचक्र
मल्लवादि ५ मानमुद्रा भंजन नाटक
देवचंद्रगणि
२८० ६ प्रबन्ध शत
रामचंद्रसूरि
३२२ ७ नैषधकालवृत्ति
मुनिचंद्रसूरि
२४३ ८ नाममाला
धनपाल
१९९ श्री कल्याणविजय जी कृत "आपणां प्राभृतो" लेख में:-(जैनयुग, वर्ष १, पृ. ८७)
गोविन्द नियुक्ति । सिद्धिविनिश्चय ( निषोथचूर्णि) । तरंगपती । मलयवती । मगधमेना । चेटकचरित्र (निषोथर्गि ) । अशोकवती । ग्रंथ
उल्लेख चूडामणि श्लो. ९६००० द्राविड देश के दुर्विनीत राजा कृत वाबनप्रबंध तागगणादि
बप्पभट्टिसूरि प्रभावक चरित्र वसुदेव चरित्र
भद्रबाहु
देवेन्द्रसूरिकृत शान्तिनाथ चरित्र
दवार तत्त्वार्थ भाष्य टीका
मलयगिरि तत्त्वार्थ प्रस्तावना पृ. ४७ आचारंगविवरण
गन्धहस्ति! आत्मानुशासन
जिनेश्वरसूरि जै. सा. संशोधक, खंड १ अं.१ श्रावकप्रज्ञप्ति
उमास्वाति गण. शा. श० बृहद वृत्ति आचार वल्लभ
प्रवचन परीक्षा प्रतिष्टा कल्प
सकलचंद्र कृत प्रतिष्ठा कल्प संसारदावानल वृत्ति
हरिश्चंद गणि प्रश्नोत्तर पद्धति प्रभावक चरित्र पल्लीवालगच्छीय आमदेवसूरि पाटणमतपत्र विधिकरणशतक
, शांतिसूरि २५ प्रश्नोत्तर ग्रन्थ समाचारी
अभयदेवसूरि शि. परमानंद रहस्य कल्पद्रुम
जिनप्रभसूरि बीकानेर भंडारस्थ प्रति बत्रीसी अंतर्गत ११ सिद्धसेन ( ३२ में २१ प्राप्त ) सप्तसन्धान काव्य
हेमचंद्रसरि मेघविजयकृत सप्तसन्धान
वादानुशासन
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