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________________ समाचार दर्शन प्राकृतभाषा विभाग का सुयश श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ (मानित विश्वविद्यालय), नई दिल्ली में नवनिर्मित 'प्राकृतभाषा विभाग' ने अपनी स्थापनाकाल से ही निरन्तर यशस्वी कार्यों की परम्परा प्रवर्तित कर दी है। विद्यापीठ स्तर पर उत्तम परीक्षा परिणाम के साथ-साथ इस विभाग के प्रथम बैच के छह छात्रों ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' द्वारा राष्ट्रिय स्तर पर आयोजित की जाने वाली 'राष्ट्रिय व्याख्याता अर्हता प्रतियोगी परीक्षा' (N.E.T.) में भी अद्वितीय यश अर्जित कर विभाग की ख्याति बढ़ायी है । ऐसे अवसर बहुत दुर्लभ रहे हैं, जब किसी नवस्थापित विभाग के छात्रों का इस परीक्षा में प्रथम बार में ही शत-प्रतिशत परीक्षा - परिणाम रहा हो, किंतु प्राकृतभाषा विभाग को यह सुयश मिला है। विभाग की छात्रा श्रीमती रंजना जैन ने विभाग एवं विद्यापीठ में सर्वोच्च वरीयता प्राप्त करने के साथ-साथ इस परीक्षा में भी सर्वोच्च वरीयता के साथ 'जूनियर रिसर्च फेलोशिप' (J.R.F.) के लिए क्वालीफाई किया है तथा शेष पाँच छात्रों— 1. प्रभातकुमार दास, 2. श्रीमती मंजूषा सेठी, 3. अशोक कुमार जैन, 4. अमित कुमार जैन एवं 5. रजनीश शुक्ल ने 'व्याख्याता अर्हता' (N.E.T.) अर्जित की है। प्राकृतभाषा विभाग के इन छहों छात्रों को यशस्वी जीवन के लिए हार्दिक बधाई । -सम्पादक ** प्रख्यात शिक्षाविद् डॉ० मण्डन मिश्र जी को 'महामहोपाध्याय' प्रशस्ति महामना मदनमोहन मालवीय जी द्वारा स्थापित विश्वस्तरीय देश के सुप्रतिष्ठित विश्वविद्यालय 'बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय' के द्वारा 'पद्मश्री' सम्मान से विभूषित विश्वप्रसिद्ध शिक्षाविद् स्वनामधन्य डॉ० मण्डनमिश्र जी को 'महामहोपाध्याय' की सुप्रतिष्ठित सर्वोच्च प्रशस्ति भव्य समारोहपूर्वक समर्पित कर सम्पूर्ण शिक्षाजगत् को गौरवान्वित किया है। So मण्डन मिश्र जी की अनुपम शैक्षिक सेवाओं की सम्पूर्ण विश्व में प्रतिष्ठा है। संस्कृत भाषा को झोपड़ी से राष्ट्रपति भवन तक पहुँचाकर अब वे संस्कृत के साथ-साथ प्राकृतभाषा को भी इसीप्रकार प्रतिष्ठित करने के लिए अहर्निश प्रयत्नशील हैं । 'बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय' द्वारा समर्पित प्रशस्ति का छायाचित्र यहाँ अविकलरूप से प्रस्तुत है :यद्यपि डॉ० मण्डनमिश्र जी जैसे अप्रतिम मनीषी साधक को पाकर यह प्रशस्ति ही प्राकृतविद्या + अक्तूबर-दिसम्बर '2000 DO 102
SR No.521364
Book TitlePrakrit Vidya 2000 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size10 MB
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