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________________ 2. आचार्य सूर्यसागर स्मृति श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार-2000 डॉ० जयकुमार जैन, मुजफ्फरनगर (उ०प्र०) 3. आचार्य विमलसागर (भिण्ड) स्मृति श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार-2000 डॉ० शेखरचंद जैन अहमदाबाद (गुजरात) 4. आचार्य सुमतिसागर स्मृति श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार-2000 डॉ० बी०के० खड़बड़ी मिरज (महा०) 5. मुनि वर्द्धमानसागर स्मृति श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार-2000 डॉ० (श्रीमती) रश्मि जैन, फिरोजाबाद (उ०प्र०)—डॉ० अनुपम जैन, इन्दौर ** श्री यशपाल जैन दिवंगत प्रख्यात गांधीवादी लेखक तथा मानवीय मूल्यों के श्रेष्ठ पुरस्कर्ता श्री यशपाल जैन का दिनांक 10 अक्टूबर को नागदा (म०प्र०) में निधन हो गया। सस्ता साहित्य मण्डल' के मंत्री के रूप में उन्होंने मूल्यपरक साहित्य के प्रकाशन में महती भूमिका निभायी। उन्हें दो बार सोवियत लैण्ड नेहरु पुरस्कार', 1960 में पद्मश्री तथा 1963 में 'साहित्यवाचस्पति' उपाधि से अलंकृत किया गया था। 'प्राकृतविद्या-परिवार' की ओर से दिवंगत आत्मा को सुगतिगमन एवं बोधिलाभ की . कामना से श्रद्धासुमन समर्पित हैं। -सम्पादक ** आवश्यक-निवेदन जैनविद्या, भारतीय संस्कृति, इतिहास, पुरातत्त्व एवं साहित्य के अतिरिक्त प्राकृत, संस्कृत. अपभ्रंश, पालि एवं हिन्दी साहित्य के समस्त सारस्वत विद्वानों एवं सिद्धहस्त लेखकों से विनम्र अनुरोध है कि आपकी स्नेहभाजन पत्रिका प्राकृतविद्या' का जनवरी-मार्च 2000 का अंक 'भगवान् महावीर' एवं 'आर्या चन्दना' (सती चन्दनबाला) के चरित्रों पर केन्द्रित विशेषांक होगा। इनके विविध पहलुओं पर अपनी यशस्वी लेखनी से सृजित कर आलेख, कविता, कहानी, आदि यथाशीघ्र सादर आमंत्रित है। कृपया 30 दिसम्बर 2000 तक आप अपनी रचना में A-4 में टंकित कराकर भिजवायें। आलेख 4-5 पृष्ठों से लम्बा न हो तथा सारगर्भित, शोधपरक एवं तथ्यपुष्ट हो – इस बात का विशेष ध्यान रखने की विनती है। ' 'सम्पादक-मण्डल' के निर्णयानुसार प्रकाशन-सामग्री प्रकाशित की जायेगी। । कृपया अपनी रचना के बारे में मौलिक', 'अप्रकाशित/प्रकाशित' एवं मात्र 'प्राकृतविद्या में प्रकाशनार्थ प्रेषित' —इन बिन्दुओं का अवश्य उल्लेख करें। –सम्पादक ** प्राकृतविद्या के स्वत्वाधिकारी एवं प्रकाशक श्री सुरेशचन्द्र जैन, मंत्री, श्री कुन्दकुन्द भारती, 18-बी. स्पेशल इन्स्टीट्यूशनल एरिया, नई दिल्ली-110067 द्वारा प्रकाशित; एवं मुद्रक श्री महेन्द्र कुमार जैन द्वारा, पृथा ऑफसेट्स प्रा० लि०. नई दिल्ली-110028 पर मुद्रित। भारत सरकार पंजीयन संख्या 48869/89 प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '2000
SR No.521363
Book TitlePrakrit Vidya 2000 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size10 MB
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