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________________ अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोग - आचार्य विद्यानन्द मुनिराज - 'यावति विन्दजीवो:' । – ( कातन्त्र, 4/6/9/799 ) अर्थ: यानि जब तक जीता है तब तक पढ़ता है । 'णं चाभीक्ष्ण्ये द्विश्च पदं । - (वही, 4/6/5/797) प्रकाश से दृष्टि, प्रकाश से अभय अज्ञान तिमिर है और ज्ञान आलोक । अज्ञान मृत्यु है और ज्ञान अमरता। अज्ञान विष है और ज्ञान अमृत । अज्ञान का आवरण रहते मनुष्य किसी बात को जान नहीं सकता । अन्धकार में चलने वाला किसी कूप - वाणी - तड़ाग में गिर सकता है, किसी विषधर नाग पर पाँव रख कर विषकीलित हो सकता है और आगे का पथ न सूझने के कारण मार्गच्युत भी हो सकता है; परन्तु जिसने दीपक हाथ में लिया है वह सुखपूर्वक पथवर्ती कील-कण्टकों से अपनी सुरक्षा करता हुआ गन्तव्य ध्रुवों को पा लेता है; इसीलिए प्रकाश या आलोक प्राणियों को प्रिय प्रतीत होता है। पूर्व दिशा से आलोक- किरण के दर्शन करते ही पक्षी आनन्द-कलरव करने लगते हैं; नीड़ छोड़कर विस्तृत गगन में उड़ चलते हैं; क्योंकि प्रकाश से उन्हें दृष्टि मिली है, अभय मिला है। ऋषियों ने 'ऋग्वेद' में उषा की स्तुति की है, क्योंकि उसी के अरुणगर्भ से सूर्य का जन्म होता है। वे अञ्जलिबद्ध होकर परमात्मा की प्रार्थना करते हुए याचना करते हैं'तमसो मा ज्योतिर्गमय'। (हे प्रभो ! ले चल हमें अन्धकार से प्रकाश की ओर); क्योंकि प्रकाश ही पदार्थों के साक्षात्कार में सहायक है । त्यागियों की चर्या प्रकाश की उपस्थिति में ही होती है। जब तक प्रकाश नहीं होता, उन्हें गमनागमन - - निषेध है । 'ईर्या समिति' के पालन में आलोक सहायक है । यह आलोक जब आत्मनिरीक्षण में प्रवृत्त होता है, तब 'ज्ञान' कहलाता है। मनुष्य घट - पटादि पदार्थों को जैसे सूर्यालोक अथवा कृत्रिम प्रकाश (दीपकादि) द्वारा जानता है, वैसे ही वह 'मृण्मयोऽयं घटः, तन्तुमयोऽयं पट:' (यह घट मृत्तिकारूप तथा यह वस्त्र तन्तु समूह रूप है) इसे ज्ञान द्वारा जानता है । जिसे ज्ञान नहीं है, वह घट तथा पट को देख कर भी उनके विषय में अपरिचित है । इसलिए जिसे जन्मना जिज्ञासावृत्ति मिली है, जिसमें शोध - चिन्तन की अभिलाषा जागृत है, वह ज्ञान प्राकृतविद्या जनवरी-मार्च '2000 009
SR No.521361
Book TitlePrakrit Vidya 2000 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2000
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size14 MB
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