SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ का जीर्णोद्धार कराया, अनेक समाजसेवी, धार्मिक व शिक्षण संस्थायें तथा अस्पताल स्थापित किए।" श्री पाटोदी ने पुरस्कार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “आचार्यश्री ने जैनधर्म को जन-जन का धर्म बनाकर महान कार्य किया है। उनके सानिध्य में राष्ट्रीय स्तर के सभी कार्य सफल हुए हैं।” साहू अशोक जी को अब तक का सर्वाधिक समर्पित व्यक्तित्व बताते हुए उन्होंने कहा कि “तीर्थराज श्री सम्मेदशिखर जी पर उनके नेतृत्व में समाज को जो सफलता मिली वह स्वर्णाक्षरों में लिखी जाएगी।" पाटोदी जी ने पुरस्कार में मिली एक लाख रुपए की राशि समाजसेवा में समर्पित करने की घोषणा की। ____ भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष साहू रमेशचंद्र जैन ने लोगों को समाजसेवा की प्रेरणा देने के लिए स्थापित इस पुरस्कार की सराहना की। उन्होंने साहू अशोक जी को अद्भुत प्रेरणास्रोत बताते हुए समस्त समाज से तीर्थों के संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु दान की अपील की। __पुरस्कार समिति के अध्यक्ष सुखमाल चंद जैन (बड़ौत) व अन्य पदाधिकारियों ने श्री पाटोदी को माल्यार्पण किया। समारोह का आयोजन प्राचीन अग्रवाल दिगंबर जैन पंचायत ने 'दशलक्षण पर्व समारोह' के अंतर्गत किया। समारोह में श्री पाटोदी जी को रजत-तुला भी भेंट की गयी। -संपादक ** विद्वत्समाज की अपूरणीय क्षति जैनसमाज के ज्ञानवृद्ध एवं समाजसेवी मनीषी विद्वद्वर्य पं० श्यामसुन्दर लाल जी शास्त्री, फिरोजाबाद (उ०प्र०) वालों ने दिनांक 26 मई '99 को 85 वर्ष की आयु में धर्मध्यानपूर्वक यह नश्वर शरीर छोड़ दिया। __आप भारतवर्षीय दिगम्बर जैन (धर्मसंरक्षिणी) महासभा के मुखपत्र जैनगजट' के प्रधान सम्पादक रहे। आपने लगभग चालीस वर्षों तक पी०डी० जैन इण्टर कॉलेज फिरोजाबाद का प्रबंध-कार्य कुशलतापूर्वक निर्वाह किया। आपकी सुदीर्घ समाजसेवा एवं धर्मप्रभावना को दृष्टिगत रखते हुए पूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज की सन्निधि में श्रीमहावीर जी क्षेत्र पर हुए सहस्राब्दी समारोह में गाँधी नाथा रंगजी जनमंगल प्रतिष्ठान', सोलापुर (महाराष्ट्र) द्वारा 1997 के एक लक्षरुपये' राशि के 'आचार्य कुन्दकुन्द पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था। ऐसे विद्यानुरागी, समाजसेवी मनीषी को सुगतिगमन एवं बोधिप्राप्ति की मंगलकामना के साथ 'प्राकृतविद्या परिवार' की ओर से सादर श्रद्धाञ्जलि समर्पित है। -संपादक ** ___सुप्रसिद्ध जैन विद्वान् एवं कवि पं० कमल कुमार शास्त्री 'कुमुद', खुरई (म०प्र०) वालों का 15 अगस्त '99 को 95वें वर्ष की अवस्था में शांत परिणामपूर्वक देहावसान हो गया है। 'प्राकृतविद्या परिवार' की ओर से सुगतिगमन एवं बोधिलाभ की मंगलकामना के साथ श्रद्धासुमन समर्पित हैं। -संपादक ** प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '99 00 105
SR No.521355
Book TitlePrakrit Vidya 1999 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year1999
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy