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________________ खाद्य पदार्थों के साथ-साथ पान तथा बड़े पैमाने पर सौंदर्य प्रसाधनों में भी किया जाता है। हकीमों के अनुसार 'लौंग' तासीर के लिहाज से गर्म, उत्तेजक और खुश्क होता है और अनेक प्रकार के दर्द को दूर करता है। आयुर्वेद में इसे दर्द, अपच तथा वायुविकार-नाशक बताया गया है। ___ लौंग का सेवन खाने के प्रति रुचि पैदा करता है। सर्दी-खांसी, पित्त, कफ, रक्त विकार में भी उपयोगी है। खांसी की शिकायत होने पर लौंग को तवे पर गर्म कर चबाकर देर तक चूसना चाहिए। दांत के दर्द में लौंग को दर्द के स्थान पर दबाने अथवा लौंग के तेल में भीगी रुई को दर्द के स्थान पर रखने से राहत मिलती है। सिरदर्द में लौंग का लेप कनपटी पर लगाने से दर्द भागता है। लौंग चबाने से मसूड़े मजबूत होते हैं। शरीर के किसी हिस्से में सूजन आने पर उस स्थान पर लौंग का लेप करने से सूजन दूर होती है। गर्भवती महिलाओं को उल्टी की शिकायत होने पर लौंग को पानी में भिगोकर उस पानी को पीना चाहिए। इस पानी में मिश्री मिलाना भी लाभदायक होता है। इस पानी को पीने से शरीर में पानी की कमी की शिकायत भी दूर होती है। दिखने में भले ही छोटा लगे, लेकिन अपने गुणों के कारण सामान्य रोगों को दूर भगाने में इसके महत्त्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है। - (साभार उद्धृत – स्वागत' पत्रिका, अंक जनवरी 1999) तम्बुओं का शहर लड़ाई के बाद अरब की सेनाओं का सेनापति इब्ने अल अस अपना तम्बू उखड़वा रहा था, तो उसने देखा तम्बू के एक कोने में मैना ने घोंसला बना रखा है। सेनापति ने तम्बू तोड़ना रुकवा दिया और मैना का घर उजाड़ने के बजाए अपने शिविर को ही अपना मुख्यालय बना लिया और वहीं रहने लगा। धीरे-धीरे यहीं एक बड़ा नगर बस गया, जिसे अलफुस्तर (अरबी भाषा में तम्बुओं का शहर) कहा जाने लगा। आज भी मिस्र में अलफुस्तर नाम का शहर है, किन्तु अब वहाँ तम्बू नहीं हैं। ** -(साभार उद्धृत, 'नवभारत टाईम्स' दिल्ली) परीक्षक 'आचार्य सर्वचेष्टासु लोक एव हि धीमतः । अनुकुर्यात्तमेवातो लौकिकेऽर्थे परीक्षकः ।।' -(आचार्य वाग्भट्ट, अष्टांगहृदये, 2/45) अर्थ:-बुद्धिमान् मनुष्य के लिये सब क्रियाओं में लोक (समाज) ही आचार्य है; उससे भी सीखे। परीक्षक (विचारक) मनुष्य लौकिक व्यवहार में लोक का ही अनुकरण करें। प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर'98 0091
SR No.521353
Book TitlePrakrit Vidya 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year1998
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size3 MB
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