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________________ काव्यानवादः हिन्दीमूलम् - खालिद जामा (१) घर के बाहर भले ही दिमाग ले जाओ क्योंकि दुनिया एक बाजार है, लेकिन घर के अंदर सिर्फ दिल ले जाओ क्योंकि वहां एक परिवार है...!! (२) अच्छे इन्सान की तलाश मत करिए, बल्कि एक अच्छा इन्सान बन जाने की कोशिश करिए, हो सकता है आपके अच्छा बन जाने से किसी की तलाश खत्म हो जाए !! संस्कृतानुवादः - कल्याणकीर्तिविजयः गृहाद् बहिः नयतु नाम मस्तिष्कम्, यतो जगदेका विपणिरस्ति; किन्तु गृहस्याऽन्तः केवलं हृदयमेव नयतु, यतस्तत्रैकः परिवारोऽस्ति...!! सज्जनस्य अन्वेषणं मा कुरुत, किन्तु, स्वयमेव सज्जनो भवितुमुद्यमं कुरुतः भवेत् नाम भवतः सज्जनीभवनेन 'कश्चिदन्यः' अन्वेषणाद् विरमेत !! ३१
SR No.521040
Book TitleNandanvan Kalpataru 2018 06 SrNo 40
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtitrai
PublisherJain Granth Prakashan Samiti
Publication Year2018
Total Pages92
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Nandanvan Kalpataru, & India
File Size7 MB
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