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________________ .2 आमन्त्रणम आङ्ग्लभाषायां लेखकः (गूर्जरभाषायाम् ) गूर्जरभाषायामनुवादकः ओरियाह माउन्टन ड्रीमरः ऋषभ-परमारः (केनेडादेशे शिक्षको लेखकश्च) तमे जीववा माटे शु करो छो ए जाणवामां मने रस नथी, मारे जाणवू छे तमारा हृदयमां ऊंडी कोई आरत छे के केम ? अने, ए फळीभूत थवानुं स्वप्न जोवानी हाम छे के नहि ? तमारी उमरमां पण मने रस नथी प्रेम स्वप्न अने जीवंत रहेवाना साहस-खातर गांडा देखावानुं जोखम तो खेडी शको छो ने ? मारे जाणवू छे के तमे पीडा साथे स्वस्थ बेसी शको छो एने छुपाववा-घटाडवा के मटाडवाना प्रयत्नो वगर ? 1 मारे जाणवू छे, तमे विश्वासघातनो आरोप सही शको छो पोताना आत्मानो विश्वासघात कर्या वगर ? ) मारे जाणवू छे के दिन-ब-दिन आकर्षणना आटापाटा वच्चे तमे सौन्दर्यने जोई शको छो ? एनी हयातीमां तमारा जीवननो स्रोत अनुभवी शको छो ? तमे क्यां, शुं अने कोनी पासे भण्या एमां मने रस नथी. मारे जाणवू छे के बहार बधु ज पडी भांगे छे त्यारे अंदर तमने कोण टकावी राखे छे ? मारे जाणवू छे के तमे जात साथे एकला रही शको छो ? खाली क्षणोमां तमारो सथवारो तमने गमे छे ? (भारतीयविद्याभवनतः प्रकाश्यमानायां नवनीतसमर्पण-नामगूर्जरमासपत्रिकायां - २००८ तमवर्षस्य ओक्टोबरमासे प्रकाशितमिदं काव्यम्) ५१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.521022
Book TitleNandanvan Kalpataru 2009 00 SrNo 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtitrai
PublisherJain Granth Prakashan Samiti
Publication Year2009
Total Pages106
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Nandanvan Kalpataru, & India
File Size13 MB
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