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________________ 168 राजेन्द्र प्रसाद SAMBODHI है । लेकिन चालीस के दशक तक उनकी और उनकी कृतियों की ख्याति दूर-दूर तक फैल चुकी थी। बुद्धिजीवियों के विशेष वर्ग जिनमें कवि और कला समीक्षक जैसे सुचीन्द्रनाथ दत्ता, विष्णु दे, शाहिद सुहरावर्दी तथा जन इरविन आदि शामिल थे, जो यामिनी राय को स्वीकार करने लगे । देश-विदेश में | अपने प्रशंसकों की संख्या बढ़ने से भी उन्हें कोई अन्तर नहीं पड़ा । वे तो अपने घर में ही (जो यामिनी राय का स्टूडियो भी था) सीमित रहना चाहते थे । काम में डूबे हुए वे १९७३ के अन्त तक स्वयं भी काम करते रहे और दूसरों को प्रेरित करते रहे ।११ बहरहाल एक चित्रकार के रूप में यामिनी राय ने माटी की गंध को महसूस किया और विशुद्ध भारतीय लोक-कला को अपने चित्रों का विषय बनाया । सभी वर्गों के लोग खुद को उनकी कला से जोड़ पाते थे । जनमानस की विश्वास-परंपराओं से उपज कर उनके रूपाकार भारतीय संस्कृति के प्रतीक बन गये । निस्संदेह यामिनी राय द्वारा चित्रित रंगबिरंगी लोक परम्परा ने अन्य कलाकारों को भी देशी स्त्रोतों की ओर मुड़ने की प्रेरणा दी, जो समकालीन भारतीय कला में कहीं न कहीं मौजूद हैं जैसे गणेश पाइन, के. जी. सुब्रमण्यम, धर्मनारायण दासगुप्ता, लालू प्रसाद शॉ आदि कई चित्रकारों की समकालीन कलाकृतियों में । हर दृष्टि से यामिनी राय आज भी उतने ही प्रासंगिक है जितने की वे अपने समय में थे। ॐ सन्दर्भ : १. धमीजा, जसलीन (अनुवादक), भारत की लोक कला और हस्तशिल्प, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली, १९९४, पृ. १. २. विरंजन, राम; समकालीन भारतीय कला, निर्मल बुक एजेन्सी कुरुक्षेत्र, २००३, पृ. ४३. ३. गैरोला, वाचस्पति, भारतीय चित्रकला, मित्र प्रकाशन प्रा. लि. इलाहाबाद, १९६३, पृ. २६१. गोयल, जवाहर. यामिनी राय का पुनर्मूल्यांकन, समकालीन कला, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली, सं. ७-८, नवम्बर १९८६/मई १९८७, पृ. ५. ५. वर्मा, अविनाश बहादूर; भारतीय चित्रकला का इतिहास, प्रकाश बुक डिपो, बरेली, २०१२, पृ. २७८. ६. दत्त, अजित कुमार, साहचर्य, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली, २००९, पृ. ९८. ७. गोयल, जवाहर, यामिनी राय का पुनर्मूल्यांकन, समकालीन कला, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली, सं. ७-८, नवम्बर १९८६/मई १९८७, पृ. ८-९ दत्त, अजित कुमार, साहचर्य, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली, २००९, पु. ९९. गोयल, जवाहर, यामिनी राय का पुनर्मूल्यांकन, समकालीन कला, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली, सं. ७-८, नवम्बर १९८६/मई १९८७, पृ. ९-१० १०. भारद्वाज, विनोद; बृहद आधुनिक कला कोश, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, २००६, पृ. ८१. ११. दत्त, अजित कुमार, साहचर्य, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली, २००९, पु. १०२. ८. ** *
SR No.520791
Book TitleSambodhi 2018 Vol 41
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages256
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size20 MB
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