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________________ Vol. XLI, 2018 मुसव्विरी के मुकाम और राजस्थान 151 सन् १९४८ में बम्बई में "प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप की स्थापना हुई जिसमें एम. एफ. हुसैन संस्थापक सदस्य थे । जो बेहद चर्चित चित्रकार थे । बुनियादी तौर पर हुसैन प्रतीकवादी चित्रकार थे उनकी मानवाकृतियों में एक विशेष प्रकार की विकृति उत्पन्न की गई । उन्होंने मोटे-मोटे रंग लगाकर सरलीकृत मानवाकृतियों से अपने विषयों का प्रकट किया । सैय्यद हैदर रजा भी इसी समूह का एक महत्त्वपूर्ण नाम है ठोस रंगों, ज्यामीतिय अलंकरणों से दर्शक को एक अचरज भरी नवीन सृष्टि के मध्य लाकर खड़ा कर दिया । रजा की कृतियों में बिन्दु सर्वाधिक रहस्यमयी है जिसका विश्लेषण कर चित्त सरल सौन्दर्यानुभूति करना है । ___ तैय्यब मेहता भारतीय मुस्लिम समकालीन चित्रकारों में महत्वपूर्ण रहे । इनके चित्रों में आकार कों का ध्यानपूर्वक अनुअंकन किया गया जिससे आन्तरिक भाव प्रकट हो गया । उन्होंने स्वतंत्रतापूर्वक भंजन किया जिससे वस्तुनिरपेक्ष आकारों से जीवित रिश्ते निकले जिन्होंने दबाव की तरंगों को रंगों में घोलकर हमारे समक्ष प्रस्तुत किया ।२९ गुलाम मोहम्मद शेख के चित्रां में स्वप्न व फन्तासी का वास्तविक रूप हमें देखने को मिलता है। भारतीय मुस्लिम कलाकारों की फेहरिस्त लम्बी है। जो कभी न खत्म होने वाली है। क्योंकि नीत-नवीन प्रयोग कर ये मुसव्विर नये मुकाम हासिल कर रहे है। इन्हीं की तरह राजस्थान में भी आधुनिक कलाकारों ने कला सजृन किया। इरशाद अली (किशनगढ़), इशहाक अहमद (जोधपुर), इसरार हसन (बीकानेर) निगार सुल्ताना (जयपुर), मोहम्मद रफीक (बीकानेर), डॉ. मोहम्मद सलीम (जयपुर), शहजाद अली शीरानी (किशनगढ़), शाहिद परवेज (उदयपुर) आदि कई मुस्लिम कलाकारों ने जीवनभर सक्रिय रहकर राजस्थान के कला वैभव को समृद्ध किया ।३० सन् १९४८ में जन्में अब्दुल करीम ने राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट्स से डिप्लोमा किया और अध्ययन के पश्चात् स्वतंत्र रूप से चित्रण किया जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से नवाजा गया ।३१ अब्दुल मजीद नकवी टोंक के मालपुरा से तालुक रखते है। अनेक चित्रों में उनके रचना कौशल का गम्भीर्य देखा जा सकता है। कोटा के अगसर अली सागर भी इन चित्रकारों में महत्वपूर्ण है ।३२ इकबाल हुसैन झालावाड़ के रहने वाले है उनकी चित्र कला में सिक्ख धर्म से सम्बन्धित कई चित्र बने है। जिनमें से कुछ कनाडा देश में भी प्रदर्शित हो चुकी है। कहते है आतंकवाद का कोई चेहरा नहीं होता । इसके उलट, इकबाल की एक पेंटिंग में आतंकवाद का चेहरा बताया हुआ है। अन्य पेटिंग में पंचतत्व में विलीन होते इंसान को चित्रित किया गया है। इसमें जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी व आकाश के बीच एक इंसान के चेहरे को समाते हुए दिखाया गया है ।३३ मंजिलें उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता दोस्तों हौंसलों से उड़ान होती है... इन्हीं पंक्तियों को चरितार्थ किया है जवाहर नगर (जयपुर) के निवासी और मिनिएचर पेंटिंग्स में एक मुकाम हासिल कर चुके आर्टिस्ट शाकिर अली ने। अपनी कला के जरिए भारत सहित कई देशों में सतरंगी आभा बिखेरने वाले शाकिर अली की गणना प्रदेश के उन कलाकारों में होती है जो भीड़ से जुदा होकर कला फलक को रोशन कर रहे हैं । स्वभाव से शर्मीले, प्रचार-प्रसार की चकाचौंध से दूर रहकर सादगी से नई-नई रचनाएँ करने वाले शाकिर अली को भारत सरकार पद्मश्री सम्मान से नवाज चुकी है ।३४ अपनी जायज जिद के पक्के शाकिर अली ने चित्रकला में परम्परागत कला को जीवन प्रदान करने के साथ नवचित्रकारों के लिए नवीन कला नमूनों को सृजन करने की उमंग प्रदान की है।
SR No.520791
Book TitleSambodhi 2018 Vol 41
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages256
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size20 MB
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