SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 157
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 148 ज्योति कुमावत SAMBODHI है । इस प्रकार चित्र बनाते-बनाते वह ईश्वर की सत्ता का ज्ञान प्राप्त करता है ।"१२ अतः यह स्पष्ट है कि आज से कई सौ वर्षों पूर्व से ही मुस्लिम समुदाय कला क्षेत्र में सक्रिय है । भारत में मुस्लिमों के आगमन के पश्चात् यहाँ सत्ता हासिल करने के लिए आक्रान्ताओं में होड़. मच गई। ये मुस्लिम आक्रमणकर्ता सिर्फ युद्ध पर ही ध्यानकेन्द्रित नहीं करते थे अपितु ये कला के संरक्षणकर्ता भी थे। सन् ११९२ ई. में तराईन के द्वितीय युद्ध के परिणामस्वरूप दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई ।१३ इसके पश्चात् भारत में निरन्तर आक्रमणों का दौर चलता रहा जिसने राजनीतिक रूप से तो देश को असंतुलित कर दिया परन्तु धीरे-धीरे कलाओं में उन्नति का बीजांकुर होने लगा। पूर्वविदित है पूर्व काल में मुस्लिम चित्रण को पाप समझते थे। इस दृष्टिकोण के कारण कट्टर मुसलमान कम-से-कम जीवजन्तुओं को चित्रित करते थे। इसलिए दिल्ली के सुल्तान, मुसलमान अमीर और जन साधारण चित्रकला से दूर रहते थे और सुल्तान चित्रकारों की संरक्षण नहीं देते थे ।१४ यही बात स्थापत्य कला के लिए पोषक सिद्ध हुई और हमें अनेकों इस्लामिक स्थापत्य कला के उदाहरण हमें दिखाई देते है। कुतुबुद्दीन एबक से लेकर शाहजहाँ तक मुस्लिम शासकों ने स्थापत्य को खूब उन्नति दी जिसके परिणामस्वरूप कुतुबमीनार सहरायम का मकबरा, लालकिला, ताजमहल जैसी कई अद्भूत ईमारतें भारतीय मानचित्र पर अंकित हुई। स्थापत्य कला के पश्चात् धार्मिक शिथिलता की कट्टरता के शिथिल पड़ जाने के कारण चित्रकला का उन्नयन होता दिखलाई पड़ता है। इस समय बने चित्रों पर ईरानी प्रभाव दिखाई देता है। मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर का पुत्र हुमायूँ अपने निवर्सन काल में फारस (ईरान) रहा जहाँ वह फारसी (ईरानी) चित्रकला के सम्पर्क में आया। वह अपने साथ दो चित्रकारों मीर सैय्यद अली तथा ख्वाजा अब्दुलसम्मद को भारत लाया ।१५ जिन्होंने मुगल शैली का सूत्रपात किया। अकबर के काल में दसवन्त और बसावन महत्वपूर्ण कलाकार थे लेकिन मुस्लिम चित्रकारों में शीराजी और मीर सैय्यद अली भी विशिष्ट प्रिय थे। इन्हीं के साथ फारूख शेख, फारूख चेला, फारूख कुलामक, आकारिजा भी प्रमुख चित्रकार थे जिन्होने हिन्दू ग्रन्थ चित्रण में रूचि ली ।१६ अकबर की इस कला परम्परा को उसके पुत्र जहागीर ने आगे बढ़ाया जिसका काल मुगल शैली का स्वर्णकाल कहा जाता है। जहाँगीर के दरबार में फारसी, हिन्दू, मुस्लिम चित्रकार थे । कुलमाक, फारूख बेग, आकारिजा अबुल हसन (आकारिजा का पुत्र), मोहम्मद नादिर, मोहम्मद मुराद ऐसे चित्रकार थे जो सूदूर देशों से भारत आए और यही बस गये और भारतीय विषयों पर चित्रण किया। बिशनदास, गोवर्धन, मनोहर के साथ ही मिस्किन, दौलत, उस्ताद मंसूर (भारतीय मुस्लिम) बिचित्तर भी प्रमुख कलाकार थे। इन्हीं के साथ जहाँगीर काल में मुस्लिम महिलाएँ भी चित्रण करती थी जिनमें साइफाबानो, नदिरा बानो, रूकइमबानो प्रमुख थी ।१७ मुगल साम्राज्य की कला जहागीर के काल के पश्चात् पतनोन्मुख होने लगी इसका परिणाम यह हुआ कि चित्रकार संरक्षण के लिए प्रान्तीय स्तर पर पलायन कर कला कर्म में लीन हो गए ।
SR No.520791
Book TitleSambodhi 2018 Vol 41
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages256
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy