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________________ Vol. XLI, 2018 संस्कृत तथा फारसी के क्रियापदों में साम्य 127 मालद जाना जाना हरते २२. | मृद क्षोदे,६१ । चूर्ण करना, । मृद्नाति मालीदन-माल् | रगड़ना, मद मर्दने६२ रगड़ना, मदते मलना मसलना २३. | रफ गतौ,६३ रफाति । रफ्तन-रव् जाना, रवद | रव गतौ६४ रन्वति निकलना २४. | शव गतौ६५ शवतिर्फ६ । शुदन-शव् होना, जाना शवद २५. ष्टुञ् स्तुतौ६७ स्तुति करना, स्तौति | सुतूदन-सुतूय् । प्रार्थना करना | सुतूयद, प्रशंसा करना स्तवीति सितायद २६. | ६ हृञ् हरणे६९ हरण करना, | हरति बुर्दन-बर् ले जाना बरद ले जाना । साम्य रखने वाली कुछ क्रियापदों का भाषिक विवेचन अय्/आय>>आय् अयते/आयाति>आयद संधा- अय गतौ७०, आङ् या प्रापणे७२ फा० म०-आय(आमदन) अर्थ- आना, पहुँचना । उदा० सं– 'अत्यायतं नयनयोर्मम जीवितमेतदायाति' ।७२ (अतीव लम्बी नेत्रों में यह आ रहा है मेरा जीवन ।) फा० – 'चे सूद चूँ हमी ज. तू गन्द आयद । गर तू बे नाम अहमद अतारी' ॥ (नासिर खुसरो) (क्या ही अच्छा हो कि तेरी खुशबू से तेरे नाम की खुशबू आ जाए ।) यहाँ आ उपसर्गपूर्वक / या धातु तथा फा० आय में स्वरूपतः और अर्थगत 'आना' का साम्य पूर्ण रूप से दृष्टगत है । । अय् धातु का उदाहरण सं० में न्यून है उपसर्गयुक्त क्रियापद में लगभग वही समानता है जो फा० 'आयद' का है। वैसे सं० अम्' धातु से फा० भूतकालिक क्रिया ‘आमद' का स्वरूपगत साम्य है, परन्तु अर्थ 'आना' का एकदम विपरीत 'जाना' है । २. । आप्/या>>याब् आप्नोति/यान्ति> याफ़्तन्द/याबन्द/या+ पुक्०३ +णिच् संख्धा- आप्M व्याप्तौ७४, V या प्रापणे७५ । फा०म० - याब (याफ़्तन) उदा० सं०- 'सर्वः कामानवाप्नोतु ..'।७६ (सभी अपनी अभिलाषा को प्राप्त करें) 'यान्त्येव गृहिणीपदं युवतयोः...'।७७ (इस प्रकार स्त्रियाँ गृहिणी (राजलक्ष्मी) पद को प्राप्त करें।) फा-मा सख्ती कशान् करार अज. कुजा याबीम ।८ (हम कष्ट में पड़े हुए चैन कहाँ से पायें।)
SR No.520791
Book TitleSambodhi 2018 Vol 41
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages256
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size20 MB
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