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Vol. XLI, 2018
संस्कृत तथा फारसी के क्रियापदों में साम्य
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रूपसाम्य तथा अर्थ साम्य रखनेवाली धातुएँ (क्रियापद)
यद्यपि किसी मूल भाषा की ध्वनियाँ, उससे विकसित सभी भाषाओं में उसी रूप में नहीं मिलती तथा एक ही भाषा की ध्वनियाँ कालान्तर में बदल जाती हैं, तथापि संस्कृत की धातुओं से फारसी की अनेक धातुओं में पूर्ण साम्य मिलता है जो इन के मौलिक एकता को सुदृढ़ करता है । हाँ, कदाचित् कुछ धातुओं के स्वरूप अथवा ध्वनि में अंशतः भेद हो गया है । कुछ धातुओं के मात्र एक वर्ण में ध्वनिगत परिवर्तन मिलता है जैसे- सं० प् को फा० में सघोष ब्, प् रो फ् ध्वनि, क्वम्' के च् को श्, क् अघोष ध्वनि को फारसी में ख्. संघर्षी ध्वनि, ख् संघर्षी को क् अघोष, च् अघोष अल्पप्राण को फा सघोष ज् अल्पप्राणवर्ण, 'ज्' का ध्वनिगत परिवर्तन 'स्' के रूप में हो जाना । इस प्रकार के परिवर्तन कई कारणों से हैं जिनमें कहीं कुछ तो स्वाभाविक हैं जैसे- ध्वनि या वर्णाभाव के कारण जैसे – फा० में मूर्धन्य ‘ष्' नहीं होने से तालव्य 'श्' का प्रयोग, 'ध्' वर्ण नहीं होने से उसके जगह 'द्' का प्रयोग, 'भ्' वर्ण के न होने से उसी के समानान्तर 'ब्' का प्रयोग मिलता है । लेकिन कहीं कहीं मुख सुख अथवा उच्चारण भेद से स्वर अथवा व्यंजन वर्णागम भी हुआ है और कहीं ध्वनि नियम से परिवर्तन हो गया है। यहाँ पर रूप साम्य और अर्थ साम्य रखने वाली कुछ धातुओं को प्रस्तुत किया जा रहा है
क्रियापद | फारसी मसदर म० का अर्थ क्रियापद अमति, आमदन-आय् । आना,
आयद आयाति पहुचना अयते
क्र.सं. संस्कृत-धातु धात्वर्थ
अम गत्यादिषु३४, जाना, आङ् +या प्रापणे३५, आना अय गतौ३६
जाना आप्M व्याप्तौ,३७ प्राप्त होना, या प्रापणे३८ | पहुँचना । (या+णिय=पि) | आङ् चमु अदने२९, भोजन करना
याबन्द
आप्नोति, याफ्तन-याब् यान्ति
पाना, पता लगाना ।
आचामति
| पीना
आशामद
आशामीदनआशाम्
४. | कष हिंसायाम्,४० | दुःख देना, कषति ते | कुश्तन-कुश् । मारना, नष्ट | कुथि हिंसायाम्४१ | कोड़े से कुन्थति
करना । मारना, वध
करना ५. | कृष विलेखने४२ | कृषिकर्म कर्षति कशीदन-कशा खींचना, काश्तन
करना, खींचना, काश्त, कार् गड्ढा करना । | कारद रेखा करना ।