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मोहित कुमार मिश्र
SAMBODHI
संस्कृत- प्र०पु० एक तिप् बहु झि, फारसी- प्र०पु० एक द(अस्त) बहुः अन्द मपु० ,, सिप् , थ
म पु० ,, ई , ईद पु० , मिप् ,, मस् । पु० , म , ईम् । प्रत्यय भेद के कारण ही धातुओं की समानता होते हुए भी संस्कृत एवं फारसी के क्रियापदों में अन्तर पाया जाता है । जैसे वर्तमानकालिक क्रियापदों में, |संधातु विकरण प्रत्यय | क्रियापद फामसदर( धा०) विकरण | प्रत्यय | क्रियापद | | तन् शप्(अ) तिप् | तनोति तन् मीद तनद चर्थ चरथ चर्
| चरीद लकारों के अनुसार धातु के रूपों में पार्थक्य -
संस्कृत व्याकरण में कुछ धातुएँ ऐसी हैं जो अपने मूल में एक भिन्न रूप में रहती हैं, परन्तु काल (लकार) प्रयोग के अनुसार उनके रूपों में पृथकता आ जाती है। पाणिनि के इस सूत्र में इसी प्रकार की कुछ धातुएँ हैं- 'पा-घरा-ध्मा-स्था-म्ना-दाण-दृशि-अति-सर्ति-शद-सदां-पिब-जिघर-धमतिष्ठ-मन-यच्छ-ऋच्छ–धौ-शीय-सीदाः' ।३३ जो लट्लकार में अलग रूप वाली हैं तो लृट् लकार में अलग । जैसे
धातु
लट्
घ्रा
दाण
ऋच्छति
धातु लट लुट
लुट् पा पिबति पास्यति
जिघ्रति घ्रास्यति स्था तिष्ठति स्थास्यति
यच्छति दास्यति ऋ
अरिष्यति दृश् पश्यति द्रक्ष्यति गम्
गच्छति गमिष्यति प्रच्छ पृच्छति प्रक्ष्यति । इसी प्रकार फारसी में भी लकारों के अनुसार धातुरूपों में भिन्नता प्राप्त होती है - मसदर (धातु-अर्थ) | जमाने हाल | माजी बायद जमाने आयन्दे
(वर्तमानकाल) (भूतकाल) भविष्यकाल) रफ़तन-(जाना) रवम
रफ्तम
ख्वाहम रफ़्त दीदन-(देखना) बीनम
दीदम
ख्वाहम दीद प्रस्तुत शोध का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक होने के कारण यहाँ पर मात्र रूप व अर्थ साम्य रखनेवाली मात्र कुछ धातुओं (क्रियापदों) की सूची प्रस्तुत करते हुए कुछ का उदाहरण के साथ भाषिक विवेचन किया गया है । अवशिष्ट धातुओं को पुनः इसके दूसरे भाग के रूप में अन्यत्र कहीं प्रस्तुत किया जा सकता है।