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धम्म' एक मात्र तारणहार : पुस्तक की समीक्षा
ग्रंथ समीक्षा : सागरमल जैन
भगवान बुद्ध और उनके धर्म-दर्शन को समझने के लिए इस देश में और अन्य देशों में अनेक प्रयत्न हुए हैं। परिणाम स्वरूप इस देश के बौद्ध चिन्तकों में प्राचीनकाल में चार प्रकार के दार्शनिक मतवाद अस्तित्व में आये – १. बाह्यार्थवादी २. बाह्यार्थ-अनुमेयवादी ३. विज्ञानवादी और ४. शून्यतावादी । विज्ञानवादी योगाचार के नाम से और शून्यतावादी माध्यमिक के नाम से भी जाने जाते है। हमारा उद्देश्य यहाँ इन मतवादों की चर्चा करना नहीं है। यह संकेत हमने केवल इस दृष्टि से किया है कि प्राचीनकाल से लेकर आजतक बुद्ध और बुद्धवचनों को अनेक प्रकार से व्याख्यायित किया जाता रहा है।
वर्तमान युग में भी भगवान बुद्ध और उनके धर्म को व्याख्यायित करने के अनेक प्रयत्न हुए हैं । आचार्य नरेन्द्रदेव, भिक्षु जगदीष काश्यप, पं. राहुल सांकृत्यायन, डा. राधाकृष्णन्, डा. भीमराव अम्बेडकर आदि अनेक विचारकों ने अपनी-अपनी दृष्टि से प्रयत्न किये है। इन्हीं प्रयत्नों में एक प्रयत्न प्रो. डी. डी. बन्दिस्ते का. भी है, जो उनके द्वारा लिखित पुस्तक 'धम्म अवर ओनली सेवियर (Dhamma our only saviour) में अभिव्यक्त हुआ है और जिस पर चर्चा के लिए कन्या महाविद्यालय मोतीतबेला इन्दौर में एक संगोष्ठी भी आयोजित हुई थी। प्रो. बन्दिस्ते एक बुद्धिवादी और मानवतावादी चिन्तक है, और अपने इस चिन्तन में वे कहीं-कहीं साम्यवादी भौतिकतावादी से प्रभावित भी है। अपनी इस कृति में परोक्षरूप से वे राहुल सांकृत्यायन से प्रभावित है। प्रत्यक्षतः वे डॉ. भीमराव अम्बेडकर से प्रभावित लगते है और अपने निष्कर्षों के समर्थन में वे इस ग्रन्थ में अनेकशः उन्हें उद्धृत भी करते हैं। चाहे एक बुद्धिवादी चिन्तक के रूप में अपने निष्कर्षो में भी वे सम्यक् भी प्रतीत होते हो, किन्तु बुद्धवचनों की दृष्टि में वे कितने समीचीन है, यह एक समीक्षणीय बिन्दु है।
सर्वप्रथम हमें यह जान लेना है, कि बुद्ध ने अपने को सदैव विभज्यवादी और मध्यममार्गी घोषित किया है, वे स्पष्टतः कहते थे कि मै न तो एकाँशवादी हूँ और न अंतिवादी (एकांगी दृष्टि वाला) हूँ। उन्होंने न तो शाश्वतवाद का पक्ष लिया और न उच्छेदवाद का । न वे अतिभोगवाद के समर्थक रहे और न अति त्यागवाद के। उनके सम्बन्ध में बीना के तारों को अति कसने या अति ढीला छोड़ने का उदाहरण एक सम्यक् जीवन दृष्टि का परिचायक है । प्रस्तुत कृति में, जो भौतिकवादी बुद्धिवाद परिलक्षित होता
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