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Vol. xxxVI, 2013 स्वातन्त्र्योत्तर भारत में पाण्डुलिपियों का संग्रह एवं सूचीकरण 203
इन्स्टीट्यूट की सूची का पाँचवा भाग २००२ में प्रकाशित हुआ जिसका सम्पादन एफ्. ग्रिमल एवं टी. गनेशन् ने किया है। इसके अन्तर्गत ९२७ पाण्डुलिपियों का विवरण है जो वहाँ पर सौ बण्डलों में रखी हुई हैं । इसके साथे ही वहाँ पर ८२४० बण्डल हैं जिनमें ताड़पत्र में ग्रन्थ हैं तथा ३६० हस्तलेखों के बण्डल हैं । इस संग्रह में ११८८ संस्कृत ग्रन्थों का लिप्यन्तरण के रूप में संगृहीत पाण्डुलिपियाँ हैं संग्रह में कुल ६८५० संस्कृत भाषा की पाण्डुलिपियाँ हैं । इस संग्रह का प्रारम्भ फ्रेंच इन्स्टीट्यूट की स्थापना के तुरन्त बाद ही १९५५ में किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य था कि दक्षिण भारत में प्रचलित शैव आगम परम्परा के ग्रन्थों का एकत्रित एवं प्रकाशित करना । इस कार्य को इन्स्टीट्यूट आज तक आगे बढ़ा रहा है। इस संग्रह में १२०० पाण्डुलिपिया तमिल भाषा में १४० टुलू भाषा के साथ तेलगू, मलयालम एवं कन्नड़ भाषा में भी हस्तलेख हैं। इन सभी की सूची परम्परा
शीर्षक के अन्तर्गत यहाँ की वेबसाइट पर उपलब्ध है। १९८६-२००० : १९८६ में पुणे विद्यापीठ (University of Poona) के अन्तर्गत जयकर लाइब्रेरी की
सूची का प्रथम भाग प्रकाशित हुआ जिसमें संस्कृत भाषा की १८१६ पाण्डुलिपिया हैं । इस सूची का सम्पादन डॉ. एस्. जी. महाजन एवं डॉ. आर्. पी. गोस्वामी ने किया । इसके भाग-२ का प्रकाशन १९८९ में हिन्दी एवं संस्कृत की ९६६ पाण्डुलिपियों के विवरण के साथ प्रकाशित हुआ जिसके संकलन में श्रीमती नीला देशपाण्डे एवं श्री सी. पी. फराण्डे ने सहायता की । इसके तृतीय भाग का प्रकाशन १९९६ में ६३७ पाण्डुलिपियों के विवरण के साथ हुआ जिसमें संस्कृत, मराठी एवं हिन्दी भाषा की पाण्डुलिपियाँ सम्मिलित हैं। इनका संकलन श्री एम. बी. कन्नूर, श्री आर. पी. गोस्वामी एवं सी. पी. फराण्डे ने किया । चतुर्थ भाग २००० में प्रकाशित हुआ । इसमें १०४ चुनी हुई पाण्डुलिपियों का विवरण है । इसका संकलन श्रीमती नीला देशपाण्डे, आर. पी. गोस्वामी तथा सी. पी. फराण्डे ने पूर्ण किया । १९८६ में एक सूची का प्रकाशन - विवरणात्मक हस्तलेख सूची के नाम से कामेश्वरसिंहदरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, कामेश्वरवगर, दरभंगा से किया गया। इस सूची में २६७३ पाण्डुलिपियों का विवरण है जिसमें वैदिकसाहित्य, धर्मशास्त्र, व्याकरण, कर्मकाण्ड, दर्शन, पुराण, तन्त्र, आयुर्वेद एवं स्तोत्र की पाण्डुलिपियाँ हैं । १९८६ में ही A Descriptive Catalogue of Sanskrit and Prakrit Manuscripts का प्रकाशन B. J. Institute Museum of Learning and Research Ahmedabad से हुआ जिसका सम्पादन भारती के शेलात एवं विभूति पी. भट्ट ने किया ।
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