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________________ Vol. XXXVI, 2013 १९५६ स्वातन्त्र्योत्तर भारत में पाण्डुलिपियों का संग्रह एवं सूचीकरण I सत्यरञ्जन बनर्जी भारतीय विद्या के ऐसे आचार्य है जो एक तरफ भाषा विज्ञान के क्षेत्र में शीर्षस्थ विद्वान हैं तो दूसरी ओर जैन वाङ्मय के अधिकारी विद्वान | इसके साथसाथ ऐसे विद्वानों में उनकी गणना होती है जो ग्रीक भाषा के प्राचीन रूप को समझते हैं । इस दृष्टि से सूची के इस भाग का सम्पादन एक विशिष्ट विद्वान् के द्वारा हुआ है इसी क्रम में २००१ में भारतीय संग्रहालय के संग्रह में उपलब्ध दर्शन की पाण्डुलिपियों की विवरणात्मक सूची Descriptive Catalogue of Sanskrit Manuscripts शीर्षक से प्रकाशित हुआ जिसका संकलन अशेषरञ्जन मिश्र तथा सम्पादन देवव्रत सेनशर्मा ने किया है। इस सूची में सांख्य, पातञ्जल योग, न्याय, वैशेषिक, पूर्वमीमांसा, उत्तरमीमांसा के साथ अन्य दार्शनिक सम्प्रदायों की पाण्डुलिपियाँ भी उपलब्ध हैं जिनकी संख्या ६२१ है । इस तरह १८७० - से जो परम्परा प्रारम्भ हुई वह एशियाटिक सोसाइटी में आज तक चली आ रही है । Jain Education International 189 : महामहोपाध्याय अ० स्वामिनाथन् अय्यर पुस्तकालय, मद्रास की तमिल भाषा की पाण्डुलिपियों की विवरणात्मक सूची के प्रथम भाग का प्रकाशन १९५६ में हुआ जिसमें ४४० पाण्डुलिपियों का विवरण है । इसी वर्ष श्री वेकेंटेश्वर ओरियण्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, तिरुपति में संस्कृत, तेलगू एवं तमिल भाषा की पाण्डुलिपियों की सूची का प्रकाशन किया गया। इसके पूर्व १९४१ में भी यहाँ से प्रकाशित होने वाली अनुसन्धान पत्रिका में पाण्डुलिपियों की सूची के प्रकाशन का कार्य प्रारम्भ हुआ था । इसमें दस हजार से अधिक पाण्डुलिपियों का विवरण 1 १९५७-२००० : १९०८ में त्रिवेन्द्रम् में ओरियण्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट एवं मैन्युस्क्रिप्ट लाईब्रेरी की स्थापना हुई जो वर्तमान में केरल विश्वविद्यालय के अन्तर्गत है और जिसके संग्रह में साठ हजार से अधिक पाण्डुलिपियाँ हैं । इसकी सूची का प्रथम भाग १९५७ में ६०७९ पाण्डुलिपियों के विवरण के साथ प्रकाशित हुआ जिसमें 'अ' से लेकर 'ण' अक्षर तक प्रारम्भ होने वाली पाण्डुलिपियों का विवरण है। इसी का दूसरा भाग Alphabetical Index of Sanskrit Manuscripts in University Manuscripts Library, Trivendrum शीर्षक से १९६५ में ७९८० पाण्डुलिपियों के विवरण के साथ प्रकाशित हुआ जिसे वहाँ के तत्कालीन क्युरेटर ( प्रसाधक) श्री के. राघवन पिल्लै ने सम्पादित किया था । इस . सूची को अनन्तशयन संस्कृतग्रन्थावलि के ग्रन्थाङ्क - २१५ में स्थान मिला। इस सूची में प्रायः सभी विषयों की पाण्डुलिपियाँ हैं जिनमें नाट्यशास्त्र, कामशास्त्र, शिल्प एवं सामुद्रिक आदि विषय भी सम्मिलित हैं । सोमेश्वर भूपकृत मानसोल्लास भी यहाँ के संग्रह में है । इसी क्रम में १९८४ में डो. टि. भास्करन् के सम्पादन में तृतीय भाग का प्रकाशन हुआ जो 'य' अक्षर से लेकर 'ष' अक्षर की पाण्डुलिपियों की सूचना देता है । इसके I For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520786
Book TitleSambodhi 2013 Vol 36
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2013
Total Pages328
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size7 MB
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