SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 78
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सागरमल जैन SAMBODHI ऊनी कम्बल तथा दूसरे हाथ में पात्र है। दूसरी ओर हाथ जोड़े हुए एक गृहस्थ का अंकन है जो वर्तमान के श्वेताम्बर श्रमणों के समान अधोवस्त्र और उत्तरीय धारण किये हुए है तथा पादपीठ पर अभिलेख है। E MAR SSE PATREAss III Pagics...... HThiye Acax.20 HERBARIKERS SEATED IMAGE OF SARASVATI.SET UP IN SAMVAT 54. इस सरस्वती के अतिरिक्त कंकाली टीला जैन स्तूप मथुरा के परिसर से हमें दो आयागपट्ट ऐसे मिले हैं, जिन पर आर्यावती का शिल्पांकन उपलब्ध होता है। दोनों ही आयागपट्ट अभिलेखों से युक्त हैं। इनमें एक अभिलेख का प्रारम्भ 'नम अरहतो वर्धमानस्' से होता है और दूसरे अभिलेख का प्रारम्भ 'सिद्धम्' से होता है । अतः यह दोनों पट्ट भी जैनधर्म से ही सम्बन्धित है । किन्तु इनमें 'आर्यावती' नामक जिस देवी का उल्लेख एवं शिल्पांकन है, वह आर्यावती कौन है ? उसका जैनधर्म से सम्बन्ध किस रूप में रहा हुआ है ? यह प्रश्न आज तक अनिर्णीत ही रहा है। कुछ विद्वानों ने इसे तीर्थंकर माता के रूप में पहचानने के प्रयत्न अवश्य किया, किन्तु पहेली सुलझी नहीं । इस पहली को सुलझाने का ही एक प्रयत्न इन अभिलेख में भी किया जा रहा है, किन्तु इस चर्चा के पूर्व हमें उन दोनों फलकों के चित्रों और उनके अभिलेखों को सम्यक्, प्रकार से समझ लेना होगा । एक फलक पर 'आर्यावती' नाम का स्पष्ट निर्देश है, दूसरे फलक पर आर्यावती नाम का स्पष्ट निर्देश तो नहीं है, किन्तु
SR No.520783
Book TitleSambodhi 2010 Vol 33
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah, K M patel
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages212
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy