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________________ 136 कमला गर्ग, रजनी पाण्डेय SAMBODHI महाराज रामसिंह चंद्रमहल के पाश्रर्व में स्थित अपने कमरे में अपने प्रथम गुरु करामत खाँ को अपने सामने गैस की रोशनी में बैठा कर घंटो ध्रुपद तथा अन्य गायकियों का आनंद लेते रहते थे । करामत खाँ गुणीजन खाने के आखिरी दिग्गजों में से थे । ये अत्यंत वृद्ध थे और महाराज के बुलावे पर पालकी में आते थे और दरबार में गायन प्रस्तुत करते थे। करामत खाँ स्वयं याद करते हुए बताते थे कि "गायन के बीचबीच में ही महाराज आधासेर, तीन पाव रबड़ी मनुहार से ही खिला देते थे।"४१ कलाकार और संरक्षक के मध्य यह स अनेक संगीत ग्रन्थों की रचना हुई । रागमाला, संगीत रत्नाकर और संगीत राग कल्पद्रुम जैसे ग्रन्थ इन्हीं के काल में संगीतज्ञों ने रचे । महाराजा रामसिंह के पश्चात् महाराज माधोसिंह ने गुणीजन खाने का स्वरूप तथा मर्यादा को बनाये रखा । सवाई रामसिंह के कुछ दिग्गज कलाकार अभी भी दरबार में थे। करामत खां, रियाजुद्दीन खां, अगर फूल जी, मन्नू जी भट्ट तथा किशन जी उस्ताद आदि ऐसे ही विलक्षण गायक इस काल में भी दरबार की शोभा थे। जयपुर के अन्तिम नरेश सवाई मान सिंह ने भी माधोसिंह के समान गणीजन खाने को संरक्षण देकर राज्य और राजघराने के अनुरूप राजपूती वंशानुगत परिपाटी के अनुसार संगीत को २०वीं शताब्दी में भी १९वीं शताब्दी के समान आश्रय प्रदान किया । संदर्भ : १. राजकीय संग्रहालय, जयपुर में आयोजित प्रदर्शनी (१७-२५ नवम्बर, १९९२) में प्रदर्शित २. झूथाराम सिंधवी मंदिर, जयपुर के शिलालेख से उद्धत ३. राजस्थान चैम्बर पत्रिका, जयपुर-१९५७, पृ.९. ४. सिंह चंद्रमणि-गुणीजन खाना, लेख, कल्चरल हैरीटेज ऑफ जयपुर, जयपुर १९८२, पृ.९६ ५. वही ६. अर्डमैन जोन एल.-पैट्रन्स एंड परफॉर्मर्स इन राजस्थान, जयपुर, १९८५, पृ.२ ७. गहलोत जगदीश सिंह-कछवाहों का इतिहास, राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर, १९८३, पृ.७९ मित्तल पुरुसोत्तम दास-ब्रज की कलाओं का इतिहास, मथुरा, पृ. ४५४-४५५ ९. सरकार यदुनाथ-ए हिस्ट्री ऑफ जयपुर, ओरिएंट लौंगमैन, १९८४, पृ. ९९ १०. होमेज टू जयपुर-मार्ग, वॉल्यूम ३०, सितम्बर १९७७, पृ. ९. ११. भटनागर वीरेन्द्र स्वरूप- प्राक्कथन्, सवाई जयसिंह, जयपुर, १९८४ १२. सिंह चंद्रमणि-गुणीजन खाना, लेख, कल्चरल हैरीटेज ऑफ जयपुर, जयपुर, १९८२, प. ४८ १३. वही १४. पारीक नंद किशोर-राजेदरबार और रनिवास, जयपुर, १९८४, पृ. ५५ १५. सिंह चंद्रमणि-गुणीजन खाना, लेख, कल्चरल हैरिटेज ऑफ जयपुर, जयपुर, १९८२, पृ.१०३ १६. पारीक नंद किशोर-राजदरबार और रनिवास, जयपुर, १९८५, पृ.७६ अर्डमैन जोन एल.-पैट्रन्स एंड परफॉर्मर्स इन राजस्थान, जयपुर, १९८५, पृ.७६ १८. होमेज टू जयपुर-मार्ग, वॉल्यूम ३०, सितम्बर, १९७७, पृ.१६ १७.
SR No.520783
Book TitleSambodhi 2010 Vol 33
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah, K M patel
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages212
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size21 MB
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