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________________ Vol. XXXIII, 2010 जयपुर नरेशों का संगीत प्रेम 131 बंगले' में संगीतज्ञों को अपना कार्यक्रम देना अनिवार्य था । हरे बंगले में प्रतिदिन प्रातः से सायं तक संगीत होता ही रहता था ।२४ वरिष्ठ कलाकारों के लिये यहा प्रतिदिन की उपस्थिति आवश्यक नहीं थी। विशेष अवसरों पर अथवा महाराज की इच्छा होने पर अथवा विशिष्ट अतिथियों के आगमन पर 'उस्तादों' को विशेष रूप से बुलाया जाता था । वरिष्ठ कलावंतो को महाराज की ओर से जागीरें दी जाती थीं । कतिपय अति विशिष्ट और गुणी कलाकारों को पालकी का रुतबा भी प्रदान किया जाता था, जो उन दिनों विशेष सम्मान माना जाता था । सवाई जयसिंह, ईश्वरी सिंह आदि के काल में कलावंतों की स्थिति के विषय में अधिक जानकारी नहीं प्राप्त होती है किन्तु १८वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से तत्कालीन संगीत तथा संगीतज्ञों के विषय में प्रचुरमात्रा में विवरण मिलते है। ___गुणीजन खाने में अनेक कलाकार थे । जिन्हें अपनी-अपनी विशेषताओं के अनुसार संबोधित किया जाता था । कलावंत - मुख्य गायक अथवा वादक बीनकार बीन अथवा वीणा वादक करताली करताल अथवा खड़ताल वादक पखावजी पखावज वादक भगतन गायिकाएँ कथक कथक नर्तक सारंगिया सारंगी वादक मोरचंग्या मोरचंग वादक तबलची - तबला वादक गुणीजन खाने में पातुरें अथाव नृत्यांगनाएँ भी रखी जाती थीं, जो राजमहल में रहती थी और अंत:पुर की महिलाओं को संगीत तथा नृत्य सिखाती थी ।२५ ये पातुरें विवाह नहीं करती थीं और सम्पूर्ण आयु इसी प्रकार दरबार की सेवा में व्यतीत करती थीं । नौबतखाना गुणीजन खाने का एक प्रभाव था जो उस काल में घड़ी का कार्य करता था । यहाँ से प्रत्येक घंटे पर संगीत द्वारां (शहनाई) सूचना दी जाती थी। इससे अतिरिक्त राज्य का बैंड भी था जो सैन्य विभाग के लिये कार्य करता था । रौशन चौकी तत्कालीन वाद्य वृन्द का उदाहरण थी । जयपुर गुणीजन खाने में जहाँ संगीत का क्रियात्मक पक्ष उच्चकोटि के संगीतज्ञों द्वारा निखारा, संवारा गया वहीं संगीत शास्त्रियों ने अनेक संगीत ग्रन्थों की रचना की और संगीत के शास्त्र पक्ष को भी सुचारु रूप से समुन्नत किया । भारतीय संगीत शास्त्र को सुरक्षित रखते हुए समय-समय पर रागों में होने वाले परिवर्तनों को स्थान देने में इन संगीत ग्रन्थों की प्रमुख भूमिकी रही ।
SR No.520783
Book TitleSambodhi 2010 Vol 33
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah, K M patel
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages212
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size21 MB
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