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________________ 78 अनिल गुप्ता SAMBODHI बैठा है। (इस प्रकार की कोई राग नहीं हैं) रागिनी कुकुभ : नायिका दोनों हाथों से मयूरों को दाना दे रही है। रागिनी प्रभात : चित्र में नायिका वस्त्र धारण कर रही है तथा निकट एक नायिका अपने लहंगे को पकड़कर नृत्य के लिये उत्सुक दिखाई देती हैं। चित्र के बांयी ओर संगीतज्ञ तानपुरा लिये खड़ा है। रागिनी गुलकली : नायिका आसन पर बैठी हुई है तथा संगीतज्ञ को मदिरा दे रही है । रागिनी पूरवा : नायिका पलंग पर शयन कर रही है तथा दो दासियाँ चामर ढुला रही है । संगीतज्ञ ढोलक बजा रहा है। रागिनी जलगी : नायिका आसन पर बैठी सितार बजा रही है तथा दासी मंजीरे बजा रही है। नायक पेड़ पर बैठा सारंगी बजा रहा है तथा पक्षी चहक रहे हैं । (इस प्रकार की कोई राग शास्त्रीय रागों में नहीं है।) राग जेजेवन्ती : नायक-नायिका आसन पर बैठे हैं तथा नायक का हाथ नायिका के कंधे पर है। एक दासी चंवर दुला रही है तथा दो दासियाँ वाद्ययंत्र बजा रही है। इन राग-रागिनी के चित्रों को देखने से ज्ञात होता है कि उस समय शेखावाटी में पर्याप्त शास्त्रीय रागों का विकास नहीं हुआ था । जो संगीतज्ञ थोड़ा बहुत जानते थे उन्होंने अपने मन से वही राग बना डाली तथा चित्रकारों को बतायी जिसके फलस्वरूप चित्रकारों ने जैसा चाहा वैसा राग-रागिनी का चित्र बना दिया । इस तत्थ का एक प्रमाण यह भी है कि रामगढ की छतरियों में एक ही राग का अलगअलग रूप में चित्रण हुआ है । सन्दर्भग्रन्थसूची: १. सं० कलिका प्रसाद : बृहद् हिन्दी कोष, पृ० ९५१ २. डा० विश्वनाथ शुक्ल : राग शब्द व्युत्पत्ति और परिभाषा, संगीत, (१९७२), पृ० २५७ ३. कु० शकुन्तला शर्मा : आधुनिक काव्य में सौन्दर्य भावना, पृ० २९ ४. डा० छोटेलाल दीक्षितः तुलसी का सौन्दर्य बोध, पृ० १२ ५. डा० सुमहेन्द्र : रागमाला चित्र &.O.C. Gangoli : Ragas and Raginis, (Vol. 1) ७. Klaus Ebling : Ragmala, Span, pp. 20-26 100
SR No.520781
Book TitleSambodhi 2007 Vol 31
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages168
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size21 MB
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