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________________ 106 कानजीभाई पटेल SAMBODHI भिक्षु को उपदेश नहीं देना चाहिए । (अट्ठगुरुधम्मा, चुल्लवग्ग) यह नियम स्पष्टतया स्त्रीयों पर पुरुष जाति के आधिपत्य का द्योतक है। उम्र के बारे में भी भिक्षुभिक्षुणी में भेद था। बीस साल से छोटी कुमारिका को प्रव्रज्या नहीं दी जाती थी; जब कि भिक्षु के लिए ऐसा बंधन नहीं था । प्रव्रज्या के पूर्व स्त्री को दो साल श्रामणेरी रहना पडता । भिक्षु प्रातिमोक्ष के सभी नियम भिक्षुणी को लागु होते थे, उपरांत भिक्षुणियों के लिए और अधिक कडक नियम बनाए गए थे। (विनयपिटक, पाचित्तिय, - भिक्खुनिक्खन्ध, चुल्लंवग्ग) आठ नियमों की बात अंगुत्तरनिकाय के अट्ठनिपात में भी मिलती है। १९-२० मी शताब्दी में भारतीय समाज में स्त्रीयों का जा स्थान था-है करीब करीब वैसी ही स्थिति बुद्ध के समय में भी थी। हालांकि स्त्रियों के बारे में बौद्ध साहित्य में जो चित्र मिलता है वह पांचमी शताब्दी में लिखी गई अट्ठकथाओं पर ज्यादातर आधारित है। फिर भी उसका मूल आधार तो बुद्ध के समय की परिस्थिति थी । जैसे कि बुद्ध स्त्रीओं को प्रव्रज्या देने के पक्षमें नहीं थे यह स्पष्टतया पुरुष जाति के प्रति पक्षपात है । भिक्षु के अधिपत्य में भिक्षुणायों को रहने का नियम, भिक्षुणियों के भिक्षुओं से अधिक नियम आदि उस समय की स्त्रीओं की स्थिति का द्योतक है। ___इस तरह हम देख सकतें है कि 'एहि भिक्खु' से उपसंपदा दी जाती थी इसके स्थान में त्रिशरण विधि और बाद में उत्तिचतुत्थकम्म, प्रव्रज्या-उपसंपदा में भेद, निश्रय संपत्ति आदि अस्तित्व में आए । प्रव्रज्या देने का अधिकार बुद्धने अपने ही पास न रखकर उपाध्यायों को दिया और बाद में संघ को ही दिया । प्रव्रज्या-उपसंपदा लेनेवाले की योग्यता निश्चित की गई और विशेष नियम बनाए गए । इस तरह उपसंपदा का अंतिम स्वरूप इस तरह निश्चित हुआ । बौद्ध संघव्यवस्था बहुत ही अच्छी थी। निषेध और विधेयक दोनों प्रकार के नियमों से संघ को मजबूत बनाया गया था। संघ का जनसमुदाय पर प्रभाव के लिए व्यावहारिक नियम बनाए गए । दंड और प्रायश्चित को उचित स्थान दिया गया। संघ के मतभेदो के निवारण के लिये अत्यंत सावधानी रखी जाती थी । संघ भेदक महापापी गीना जाता था । सर्व संमति से या बहुमती से निर्णय लिये जाते । 000
SR No.520777
Book TitleSambodhi 2004 Vol 27
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah, N M Kansara
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages212
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size25 MB
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