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________________ 46 ७ ८ ४ FOOT NOTES १ रायपसेणइ सुत्त (राजप्रश्नीसूत्र ) - मलयगिरिवृत्ति सपा. प. बेचरदास दोशी, प्रका. गुर्जर, अमदावाद, १९१४ पृ. २ औपपातिकसूत्रम् अभवदेवसूरि टीका. प्रका. आगमोदय समिति, सूत १९१६ पू. २ चदहचरिय कर्त्ता श्रीचद्रमूदिशिष्य आचार्य हरिभद्रसूरि ताडपत्रीय हस्तप्रत पत्र २६५ प्रथा ८०३२, माप x २ इच लेखन सवत १२२३ - ता सविसेस खेलय - खेली लोएण पाड-पहुएण । लउडरास खेल्नणय सपमोय काठमाढत्तं ॥ - सिद्ध नह-विवर पक्ष-करडी-मुमुक्षण आउज्जाण सद्दो उच्छलिओ विविह- पाडेहिं ॥ SALONI N JOSHI लउडस- सद्देण सचलिओ तह कह वि तमि खणे । जह राया सपरियणो सजाओ चित्त लिहिओ व किं च ॥ पुढवि पडे रमणीय पवर वायहि आउज्जइ । पाठस - जलहर - गहिर- सरेण जण- विरइय-चोण्जइ ॥ ५ सच्चविय भरहभावा चक्कीव तरुव उदिय पत्त - सिरी । पयर्डेति नाडयाइ नडा अणेगाहिणय सारा ॥ लठडारासु तयाणुसारि तिव केंवइ खेल्लाहि । जिव लोयह अन्नत्थ कहिं वि मण-नयण न डोल्लाहिं ॥ हरियम-रणिर-पग्वरिय जय-जय-तोस । सच्चविय - विविह करणा कुणति अत्रे व नट्ट-विहिं ॥ ६ जय - वस्त्र खेलका राज स्तोत्रपाठको इत्यन्ये- औपपातिकसूत्र - See (२) See (१) अत्रत्थ वरत्ता - खेलियाठ, वाइ-गीय - संगय-नट्ट - विहाणेण नट्टय-जणेण । स्ववि तह चक्की जह से दालिनवणेड़ ॥ " तहि चक्क उल्ललतियाठ । दशगुणम् पुपु शिपाद गोहिल रामतियाठ ॥ या वि गुणवतियाद, गोलय-छुरिया पयडेंतियाठ SAMBODI
SR No.520772
Book TitleSambodhi 1998 Vol 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitendra B Shah, N M Kansara
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages279
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size8 MB
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