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FOOT NOTES
१ रायपसेणइ सुत्त (राजप्रश्नीसूत्र ) - मलयगिरिवृत्ति सपा. प. बेचरदास दोशी, प्रका. गुर्जर, अमदावाद, १९१४ पृ.
२ औपपातिकसूत्रम् अभवदेवसूरि टीका. प्रका. आगमोदय समिति, सूत १९१६ पू. २
चदहचरिय कर्त्ता श्रीचद्रमूदिशिष्य आचार्य हरिभद्रसूरि ताडपत्रीय हस्तप्रत पत्र २६५ प्रथा ८०३२, माप x २ इच लेखन सवत १२२३
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ता सविसेस खेलय - खेली लोएण पाड-पहुएण ।
लउडरास खेल्नणय सपमोय काठमाढत्तं ॥
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सिद्ध नह-विवर पक्ष-करडी-मुमुक्षण
आउज्जाण सद्दो उच्छलिओ विविह- पाडेहिं ॥
SALONI N JOSHI
लउडस- सद्देण सचलिओ तह कह वि तमि खणे । जह राया सपरियणो सजाओ चित्त लिहिओ व किं च ॥
पुढवि पडे रमणीय पवर वायहि आउज्जइ ।
पाठस - जलहर - गहिर- सरेण जण- विरइय-चोण्जइ ॥
५ सच्चविय भरहभावा चक्कीव तरुव उदिय पत्त - सिरी । पयर्डेति नाडयाइ नडा अणेगाहिणय सारा ॥
लठडारासु तयाणुसारि तिव केंवइ खेल्लाहि । जिव लोयह अन्नत्थ कहिं वि मण-नयण न डोल्लाहिं ॥
हरियम-रणिर-पग्वरिय जय-जय-तोस । सच्चविय - विविह करणा कुणति अत्रे व नट्ट-विहिं ॥
६ जय - वस्त्र खेलका राज स्तोत्रपाठको इत्यन्ये- औपपातिकसूत्र - See (२)
See (१)
अत्रत्थ वरत्ता - खेलियाठ,
वाइ-गीय - संगय-नट्ट - विहाणेण नट्टय-जणेण । स्ववि तह चक्की जह से दालिनवणेड़ ॥
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तहि चक्क उल्ललतियाठ ।
दशगुणम् पुपु शिपाद गोहिल रामतियाठ ॥
या वि गुणवतियाद, गोलय-छुरिया पयडेंतियाठ
SAMBODI