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Vol XXII, 1998
सर्वानन्दसूरिकृत श्रीजगडूचरित.
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नजरेणेव वोहित्य कुल पुत्रेण धार्यते ॥ श्रीजगडूचरित II-32 धूलिधूसर पुत्राङ्गपरिष्वङ्गसुखामृतैः ।
धन्याना हृदये ताप सकलोऽपि विलीयते ॥ 11-33 १३ श्रीजगडूचरित V-8, १४ वहीं v-9, १५ वहीं V-11, १६ वहीं VI-64, द्वी-२, इन्दु-१, अग्नि=३, चन्द्र=१ १३१२(वि. स.) (असाना वामतो गतिः ।) १७ वहीं VI-90,
वहीं VI-92, १९ वहीं VI-125, 126, 127, 124, 129 (क्रमानुसार) २० वहीं VI-130 २१ वहीं-नवनवतिसहस्त्रयुतानवलक्षधान्यमूटकाना सः । अष्टादशरैकोटीरर्थिभ्योऽदत्त दु समये | VI-132 २२ वहीं-VII-2, २३ दण्डी-काव्यादर्श (1-14 से 22 तक) २४ विश्वनाथ-साहित्यदर्पण (VI -315-325) २५ श्रीजगडूचरित v-8, २६ वहीं II-1, २७ वहीं-सर्ग- VI-, २८ वहीं IV-27, २९ वहीं V-30, ३० वहीं 1-30, ३१ श्रीजगडूचरित- VI-11, ३२ वहीं II-28, ३३ वहीं IV-24, ३४ वहीं V-11, ३५ वहीं V-36, ३६ वहीं VI-38,
___ वहीं VI-119, ३८ वहीं VI-95, ३९ वहीं VI-92