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वेद मन्त्र
यास्क
वेङ्कटमाधव
सायण
पतञ्जलि
कमा
शवरस्वामी
सायण आदित्यपरक
यज्ञात्मक
चत्वारि शृङ्ग चार वेद
चार वेद
चार वेद
चार दिशा
चार याम (पहर)
नाम, आख्यात, चार होता उपसर्ग, निपात
त्रयोऽस्य पादा| तीन सवन
। तीन सवन
तीन सवन
तीन सवन
ऋग्वेद, य सामवेद
भूतकाल, भविष्यकाल, वर्तमानकाल
तीन ऋतु शिशिर, गीष्म, वर्षा
मन्त्रार्थघटन में...
वे शीर्ष
ब्रह्मौदन, प्रवर्दी |दिवस, रात्रि
प्रायणीय, उदनीय ब्रह्मौदन,
प्रवर्दी
नित्यभाषा (वेद) पत्नी, यजमान उत्तरायण, कार्यभार्षा
दक्षिणायन (लौकिक)
सप्त हस्त
सात छन्द
सात छन्द
सात छन्द
सात किरण
| त्रिधा बद्ध
मन्त्र, ब्राह्मण, कल्प
मन्त्र, ब्राह्मण, मन्त्र, ब्राह्मण, कल्प
कल्प
(१) सात किरण |सात विभक्ति सात छन्द (२) षड्ऋतु तथा| एक विलक्षण |१) क्षिति, हृदय, कण्ठ, मुख ऋग्वेद, अन्तरिक्ष, धुलोक,
यजुर्वेद, २) गीष्म, हेमन्त,
सामवेद वर्षा
ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद
Vol. XIX, 1994-1995.
महादेव
यज्ञ
यज्ञ
यज्ञ
आदित्य
शब्दरूपी देव
शब्दरूपी देव शब्दरूपी देव