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________________ दोहा-पाहुउ देहादेवलि सिउ वसइ तुहुं देवलई णिएहि । हासउ महु मणि अत्थि इहु सिद्धे भिक्ख भमेहि ॥१८६ वणि देवलि तित्थई भमहि आयासो वि णियंतु । अम्मिए विहडिय भेडिया पसुलोगडा भमंतु ॥१८७ बे छंडेविणु पंथडा विच्चे जाइ अलक्खु । तहो फल वेयहो कि पि णउ जइ सो पावइ लक्खु ॥१८८ जोइय विसभी जोयगइ मणु वारणहं ण जाइ । इंदियविसय जि सुक्खडा तित्थु जि वलि बलि जाइ ॥१८९ बद्धउ तिहुवणु परिभमइ मुक्कउ पउ वि ण देइ । दिक्खु ण जोइय करहुलउ विवरेरउ पउ देइ ॥१९० संतु ण दीसइ तत्तु ण वि संसारहिं भमंतु । खंधावारिउ जिउ भमइ अवराडइहिं रहंतु ॥१९१ उव्वस वसिया जो करइ वसिया करइ जु सुण्णु ।। वलिकिज्जउ तसु जोइयहि जासु ण पाउ ण पुण्णु ॥१९२ कम्मु पुराइउ जो खवइ अहिणव पेसु ण देइ । अणुदिणु झायइ देउ जिणु सो परमप्पउ होइ ॥१९३ विसया सेवइ जो वि परु बहुला पाउ करेइ । गत्त्छइ णरयहं पाहुणउ कम्मु सहाउ लएइ ॥१९४ कुहिएण पूरिएण य छिद्देण य खारमुत्तगंधेण । संता विज्जइ लोओ जह सुणहो चम्मखंडेण ॥१९५ देखताहं वि मूढ बढ रमियई सुक्खु ण होइ । अम्मिए मुत्तहं छिडु लहु तो वि ण विणडइ कोइ ॥१९६ जिणवरु झायहि जीव तुहुँ विसयकसायई खोइ । दुक्खु ण देक्खहि कहिं मि वढ अजरामरु पउ होइ ॥१९७ विसयकसाय चएवि वढ अप्पहं मणु वि धरेहि । चूरिवि चउगइ णित्तुलउ परमप्पउ पावेहि ॥१९८ इंदियपसरु णिवारियई मण जाणहि परमत्थु । अप्पा मिल्लिवि णाणमड़ अवरु विडाविड़ सत्थुः ॥१९९
SR No.520766
Book TitleSambodhi 1989 Vol 16
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamesh S Betai, Yajneshwar S Shastri
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1989
Total Pages309
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size10 MB
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