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रामसिंह-मुणि-विरइय एमइ अप्पा झाइयइ अविचल चित्तु धरेवि । सिद्धि महापुरि जाइयइ अट्ट वि कम्म हणेवि ॥१७२ अक्खरवडिया मसिमिलिया पाढंता गय खीण ।। एक्क ण जाणी परम कला कहिं उग्गउ कहिं लीण ॥१७३ बे भंजेविणु एक्कु किउ मणहं ण चारिय विल्लि । तहि गुरुवहि हउं सिस्सिणी अण्णहि करमि ण लल्लि ॥१७४ अग्गइं पच्छई दहदिहहिं जहिं जोबउ तहिं सोइ । ता महु फिट्टिय भंतडी अवसु(?) ण पुच्छइ कोइ ॥१७५ जिम लोणु विलिज्जइ पागिए तिम जइ चित्तु विलिज्ज । समरसि इवइ जीवडा काई समाहि करिज्ज ॥१७६ जइ इक्क हि पावीसि पय अंकय कोडि करीसु । णं अंगुलि पय पयडणइं जिम सव्वंग य सीसु (?) ॥१७७ तित्थई तित्थ भमंतयह संताविज्जइ देहु । अप्पें अप्पा झाइयइं णिव्वाणं(?णह) पउ देहु ॥१७८ जो पई जोइउं जोइया तित्थई तित्थ भमेइ । सिउ पई सिहं हं(?)हिंडियउ लहिवि ण सकिउ तो इ ॥१७९ मूढा जोवइ देवलई लोयहिं जाई कियाइं । देह ण पिच्छइ अप्पणिय जहिं सिउ संतु ठिया इ ॥१८० वामिय किय अरु दाहिणिय मज्झ वहइ णिराम । तहिं गामडा जु जोगवइ अवर वसावइ गाम ॥१८१ देव तुहारी चिंत महु मज्झणपसरवियालि । तुहूं अच्छे सहि जाइ सुउ परइ णिरामइ पालि ॥१८२ तुट्टई बुद्धि तडत्ति जहिं मणु अस्थवणहं जाइ । सो सामिय उवएसु कहि अण्णहिं देवहिं का ॥१८३ सयलीकरणु ण जाणियउ पाणियपण्णहं भेउ । अप्पा परहु ण मेलियउ गंगडु पुज्जइ देउ ॥१८४ अप्पा परहं ण मेलियउ आवागमणु ण भग्गु । तुस कंडतह कालु गउ तंदुलु हत्थि ण लग्गु ॥१८५