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रामसिंह-सुणि-विरइय
भल्लाण वि णासंति गुण जहिं सहु संगु खलेहिं । वइसाणरु लोहहं मिलिउ पिट्टिज्जइ सुघणेहिं ॥१४८ हुयवहि णाइ(?सि) ण सक्कियउ धवलत्तणु संखस्स ।। फिट्टिसइ मा भंति करि छुड मिलिया खयरस्स ॥१४९ संख समुद्दहि मुक्कियए एही होइ अवत्थ । जो दुव्वाहहं चुंबिया लाएविणु गलि हत्थ ॥१५० छडेविणु गुणरयणणिहि अग्घथडिहिं घिपंति ।। तहि संखाहं विहाणु पर फुक्किज्जति ण भंति ॥१५१ महुयर सुरतरुमंजरिहिं परिमलु रसिवि हयास । हियडा फुट्टिवि कि ण मुयउ ढंढोलंतु पलास ॥१५२ मुडु मुंडाइवि सिक्ख धरि धम्महं बद्धी आस ।। णवरि कुटुंबउ मेलियउ छुडु मिल्लिया परास ॥१५३ णगत्तणि जे गलिया विगुत्ता ण गणति । गंथहं बाहिरभितरिहिं एक्कु इ ते ण मुयंतिः ॥१५४ अम्मिए इहु मणु हत्थिया विझह जंतउ वारि । तं भंजेसइ सीलवणु पुणु पडिसइ संसारि ॥१५५ जे पढिया जे पंडिया जाहिं मि माणु मरट्ट । .. ते महिलाण हि पिडि पडिय भमिय: जेम घर? ॥१५६ सिद्धा वम्मा(?ण्णा) मुट्टिइण फुसिवि लिहिहि तुहुँ ताम । जह संखहं जीहा लुसिवि सड्डुच्छलइ ण जाम ॥१५७ पत्तिय तोडहि तडतडह णाई पइट्ठा उट्ट । एवं ण जाणहि मोहिया को तोडइ को तुट्ट ॥१५८ पत्तिय पाणिउ दब्भ तिल सव्व जाणि सवण्णु । जं पुणु मोक्खहं जाइवउ तं कारणु कु इ अण्णु ॥१५९ पत्तिय तोडि म जोइया फलहिं जि हत्थु म वाहि । जसु कारणि तोडेहि तुहुँ सो सिउ एत्थु चडाहि ॥१६० देवलि पाहणु तित्थि जलु पुत्थ सव्वई कव्वु । वच्छु जु दीसइ कुसुमियउ इंधणु होसइ सव्वु ॥१६१