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________________ राउल-कान्ह-विरचित कृष्ण-क्रीडित इच्छा रामति शाम-मूर्ति रमतु दीठउ कुणि कामिनी क्षोभि रूपि तिहार, मोह मन थिउं, झूरइ दिवा-यामिनी । को ए बाल नरेंद्र-ईश्वर-कला संपूर्ण पामिउ जोई लीला यौवन माहालती ब्रजवधू तेणइ सकामा हुई ।।१।। वाला यौवन-प्रेम-ऊलट-छलई लावण्य लीला तरइ. मांनिउ मोहन-वेंलि गेलि-गहिली जे कॉमि पूरी फिरः । रीझी अंगि अनंगि भान मन-सिउँ बेहु स्तन हैइ कलह 'कुणई माय ! उपाइ कृष्ण मिलीह तु वेदना ए टला' ॥२॥ मोही मानिमि ते सखि-प्रति कहइ 'श्रीकृष्ण दीठु परई देखिउ ए नर-रत्न मि जव लगई जांगूं किम्हह मं मिला । रूड रूपि, विनोदि नादि निपुणु, सौभाग्य-भोगी' भलु' वांछो चित्ति धणी 'मिलइ मुझ किहीं गोपाल ए एकतु ।। पूरु पूनिम-चंद्र, इंद्र अथवा कि काम-शुं रूया दीठु अलवलतु नरेश्वर सही ! श्रीकृष्ण जे लहुयड । जीविउं सार्थक तु, जु कोड पुहुचइ, जु देव मं-सिउ रमह मीठउ ते मनि, जे सुहाइ सरीखु, प्रीतई ति वाल्हउ गमइ ॥४॥ - - १. २. क, रूप. ३. ग. किही. ४. क मालती, ग. महासती. क. सुकामा २. १. ग. लीलां तरि २. ग. मान गिहिली; तु काम प्री किरि. ३. ग.धारी गि अनंगि अथवा दो. ४ ग, कुणि भाव; मिलवा. ३. १. ग. सो कृष्ण जांणि किही. २. ग. मि बरन ए जाण् विरि रमू किछि.३ ग. संभोग्य भोगी. ४. ग. चित घडी. ४. ३. ग. तु होई, तो हुइ.
SR No.520762
Book TitleSambodhi 1983 Vol 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1983
Total Pages326
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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