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________________ अर्बुदाचलका जैन अभिलिखित साहित्य मिरते हैं। इन में से तपागच्छ का निदेश ७५ लेख में पाये जाते हैं। कुल मिलाकर ३० ३० जाति-कु-वश की जानकारी लेखों से प्राप्त होती है, जिन में प्राग्वाद का निर्देश १३२ लेखों में है । गोग-शाखा के बारे में ३२ निर्देश पाये जाते हैं । गाँव-देश-पर्वतनदी का उल्लेख १२१ बार मिलता है, जिस में अबुद का निदेश ९० लेखों में है। ५१ राजाओ के भी निर्देश हमें मिलते हैं। इस ग्रथ में ज्यादातर लेख (२४९) विमलय सही के मंदिर-संकुल से मिले हैं। लणवसही से १५७ लेख प्राप्त हुए हैं । शेष लेख हमें अचलगढ़, ओरिया, खरतरवसही, सुविधिनाथ मदिर से मिले हैं। ४२ अर्बुदाचल प्रदक्षिणा जैन लेख संदोह'का परिचय दसरे नथ में समाविष्ट अभिलेखों का सदी अनुसार विवरण इस प्रकार है : ग्यारहवीं सदी के ७, बारहवीं सदी के ४०, तेरहवीं के १०१, चौदहवीं के ४७, पंद्रहवीं के १०४, सोलहवीं के १७, सत्रहवी' के ५५, अठारहवीं के ३०, उन्निसपी के १९ और बीसवी सदी के सिर्फ ९ लेख प्राप्त हुए हैं। शेष अभिलेख में तिथि का कोई निर्देश नहीं है। प्राप्तिस्थान के संदर्भ में हम विवरण करें तो सबसे ज्यादा लेख हमें जीरावला स्थान में से (६३) मिले हैं। ५१ लेख रोहिडा से, ४७ अजारी से, ४५ मडार से, ३९ आरासण से और ३० लेख हमें वासा से प्राप्त हुए है। बारह गाँव ऐसे हैं, जिन में से केवल एक एक अभिलेख मिला है । सबसे अधिक लेख विक्रम संवत १४८३ के प्राप्त हुए हैं, जिन की संख्या ३२ हैं। संवत १५१९ के १० और सवत १५२१ के ११ लेख हैं। इन लेखों से हमें जैनाचार्यों के ३६१ नाम प्राप्त होते है । सब से अधिक उल्लेख तपागच्छ आचार्य जयचंद्रसरि का है। करिब २२ लेखों में उनके नाम प्राप्त हैं। ५० से अधिक गच्छों का पता हमें ईस संग्रह से लगा है, जिन में ज्यादातर निदेश तपागच्छ (१३० बार) का है । ज्ञाति-वंश-कुल के करिब २४ नाम मिलते है जिन में ओसवाल का उल्लेख ६२ लेखों में है। गोत्र के ३६, राजा के ४१ और गांवों के ११८ नाम हमें इस संग्रह से मिलते हैं। १.९ लेखों का सांस्कृतिक अध्ययन अब हम इन दोनों प्रयों से प्राप्त सांस्कृतिक इतिहास की सामग्री का विवरण करेंगे। दोनों ग्रंथो से उपलब्ध जैन-आचार्यो-साधुओं के नाम में से जिन के नाम बार बार किल्लिखित हैं, वे इस तरह है : ज्ञानचद्ररि (३८ चार), जयचंद्रमरि (३४), धर्मघोषसरि (३२), मुनिसुदरसूरि (३४), रत्नशेखरसूरि (४३), लक्ष्मीसागर सूरि (६५), विजयसेनसूरि (३२) सोमसु दरसूरि (६०) और हीरविजयसूरि (२५) ।
SR No.520762
Book TitleSambodhi 1983 Vol 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1983
Total Pages326
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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