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________________ नियुक्ति की संख्या एवं प्राचीनता समणी कुसुमप्रज्ञा वैदिक वाङ्मय में निरूक्त अति प्राचीन व्याख्या पद्धति हैं । जैन आगमों में भी नियुक्ति सबसे प्राचीन पद्यबद्ध रचना है । आवश्यक नियुक्ति में नियुक्ति शब्द का निरुक्त लिखते हुए भद्रबाहुस्वामी कहते हैं-'निजुत्ता ते अत्था जं बद्धा तेण होइ निज्जुत्ती" अर्थात् सूत्र के साथ अर्थ का निर्णय जिसके द्वारा होता है वह नियुक्ति है । शीलांक के अनुसार निश्चय रूप से सम्यग् अर्थ करना तथा सूत्र में ही परस्पर संबद्ध अर्थ को प्रगट करना नियुक्ति का प्रयोजन है । हरिभद्र के अनुसार क्रिया, कारक, भेद और पर्यायवाची शब्दों द्वारा शब्द की व्याख्या करना या अर्थ प्रकट करना निरुक्ति/नियुक्ति है । निष्कर्ष की भाषा में कहा जा सकता है कि एक शब्द के अनेक अर्थ होते हैं । उनमें कौन-सा अर्थ उस प्रसंग में घटित होता है उसका ज्ञान नियुक्ति निक्षेप पद्धति से कराती है । निक्षेप नियुक्ति में निक्षेप द्वारा अर्थ कथन होता है तथा उसके बाद उपोद्धात नियुक्ति में २६ प्रकार से उस विषय या शब्द की मीमांसा होती है । सूत्र स्पर्शिक नियुक्ति सूत्र के शब्दों की व्याख्या प्रस्तुत करती है। नियुक्तियों की संख्या के बारे में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता । क्योंकि नंदीस्त्र में जहाँ प्रत्येक भागम का परिचय दिया है वहाँ १२ अंगों के विषय में कहा गया है कि इन पर संख्येय नियुक्तियाँ लिखी गयी । इस वाक्य को दो संदर्मों में समझा जा सकता है प्रत्येक अंग पर भनेक नियुक्तियां लिखी गयौं । अथवा एक ही नियुक्ति की गाथा संख्या निश्चित नहीं थी। इस संदर्भ में एक विचारणीय प्रश्न यह है कि इतनी नियुक्तियां लिखी गयीं फिर आज वे उपलब्ध क्यों नहीं है ? __ इस प्रश्न के समाधान में एक चिंतन यह सामने आता है कि स्वयं सूत्रकार ने ही सत्र के साथ नियुक्तियां लिखी होगी । हरिभद्र ने सूत्र और अर्थ में परस्पर नियोजन को निक्ति कहा है। इस दृष्टि से संखेज्जाओं निरुजुत्तीओं का यह अर्थ अधिक संगत लगता है कि सूत्रागम पर स्वयं सूत्रकार ने जो अर्थागम लिखा वे ही उस समय नियुक्ति कहलाती थों । भभी वर्तमान में जो नियुक्तियाँ उपलब्ध है उस के साथ इसका कोई सम्बन्ध नहीं है। यह व्याख्यात्मक पद्धति बाद की रचना है।
SR No.520762
Book TitleSambodhi 1983 Vol 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1983
Total Pages326
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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