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________________ T.S. Nandi आलोकमार्ग आसमुद्रक्षितीशानो उपपन्नं ननु कश्चित् कराभ्यां १६ १८ कातर्य केवला कलासगौर संघ सूर्यप्रभवो गर्वर्थमर्थी जुगोपात्मानमत्रस्ता ज्याबन्धनिष्पन्दं तमभ्यनन्दत् न कृपामृदरवेक्ष्य तीथें तदीये गजसेतुबन्धात तीर्थो तोयव्यतिकरभवे तेनावधिप्रमहासग्वेन दशपूर्वस्थं दशरश्मिशतोपमधुति नितम्बगु निर्धातोः कुजलीनान पाण्डयोऽयमंतार्पित यदुवाच न तन्मिथ्या ग्धु श वासि रोममन्मथशरेण रुदता कुत एवं वांगॉव शैशवेऽभ्यस्तविद्यानां स छिन्नबन्ध संचारिणी दीपशिग्वेष हरेः कुमारीऽपि (अ) १३२, १३३ (वि) ३७६, २५६ (वि) ३८२,२२३ (वि) ३६५ २५९ (१-६०) (अ) ९३५,१३४, ६८४, (६-१३) ४७८ (अ) ३५६. २४६ (१७-४७) (वि) १००, २८ (२-३५) (अ) ५५१, ३.४ (१-२) (वि) ३७०, २५२ (५-२४) (अ) ३५०, २४४ (१.२१) (अ) ३९८,२६६ (६४०) (घि) ३७३, २५२ (३-६८) (अ) ३४७, २४२ (११ ८३) (अ) २६१,२११ (१६.१३) (अ) १५७,१४४ (८९५) (वि) ३५०, २२४ (वि. ३५४,२३३ (८-२९) (अ) ४३९, २९६ (८२९) (अ) ४३५,२७५ अ) ४३५, २९५ (अ) ४००, २६६ (६६०) (अ) ३५४,२४६ (१७.४२) (अ) ६१६, ३७७ (३-६१) (अ) १९८,१६८ (११-२०) (वि) ३४३, २१८ (८८५) (घि) ६०, २० (१-९) (वि) ३८३, २५४ (१-८) (वि) १६४ १४० (वि) १७३, १४६ (६-६७) (वि) ४३०, २३ (३.५५) विक्रम १ (४-२) (अ) २१४-२०४ अयमपि पटु
SR No.520762
Book TitleSambodhi 1983 Vol 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1983
Total Pages326
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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