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लघु श्रीपालेरास
आव्य मुनिवर ताम रे, देव जुहारिवा1, दीधि धरमनी देसणा ए। नवपदनउ अधिकार रे, एहथी सुख मिलई, जिम' श्रीपाल लहया घणा ए ॥३०॥ राय कहइ मुनिराय रे, कुण ते श्रीपाल ए, बईठ उ तुम्ह आगलइ ए । कहइ जिनहरख चरित्र, मुनिवर सह कह्या, आदर7 करि नृप सांभलइ ए ॥३१॥
दूहा
मयणमजूषा दिकरी, नृप परणावी ताम । एक दिन आव्या देहरइ, जिनवंदननइ काम ।।३२॥ धवल सेठ पिणि तिणि पुरी, आव्यउ वाहण लेय । दाण चोरी पडीयउ, तुरत मारी बांध्यउ तेह ॥३३॥
॥ ढाल : इंगर भलई दीठउ मैं सेज तणउ पहनी ॥
रायजी एक सेठ चोरी पड्यउ, तास करीयई किस उ डंड रे । नृप कहि जाओ रे सूली दीयउ, भांगी मुझ आंण अखड ॥३४॥रा. कुमर कहइ एहवु नवि घटई, कहिएं जिन आगलइ राय रे । तेडीनई लेइ आवउ रे इहां, वांगीय उ आणीयउ11 राय, पाय रे ॥३५।। रा. कमर देखी रे सेठ उलख्यउ, छोडाव्या12 बधण ततकाल रे ।
यह रे उपगार हम सेठने. सुख विलसे श्रीपाल रे ॥३६॥ रा. चालिवा कीयउ रे मन कुमरजी, राय दीधउ घणउ माल रे प्रवहण बेसी रे तिहाथी चाल्या, मयणा छे पासि खुस्याल रे ॥३७॥ रा. धक्ल पापी रे देखी सुदरी, मन धरी कमति तिणि वार रे । आकुलउ थयउ विरहाकुलउ, तेडीया मित्र निज च्यारि रे ॥३८॥ रा. वात कही रे निज मीत13 भणी, त्रिण्ह उठो गया मित्र रे । एक बहसी रे रह्यउ पापीयउ, सीखवे कुसीख विचित्र रे ॥३९॥ रा. करि इणिसु रे कूडी प्रीतडी, वारु उपजावि विसवास रे । अवसर14 देखि रे निसि नांखिजे, सफल थास्य तुझ आस रे ॥४०॥ रा. धवल मांडी रे मीठी प्रीतड़ी, कपट कपटी धरी चित्त रे । भद्रक कुमर जाणि 15 नही, निकट रहे बिन्हे नित्त रे ॥४१।। रा.
1 जहारिया B2 दीधि धर्म B3 जिन A4 मे A5 बेठउ B6 तुम्हे B 7 आदरि B 8 दीकरी B9 प्रत A में पृष्ठ ६ नहीं है अत: प्रत B का उपयोग किया गया है। 10 हांसिये में दूसरी देशी 'लाख गरम लाखसरी' की लिखी गई है। 11 वाणीयउ राय. C 12 छोडाया C 13 मत C 14 ०सरि B 15 जाणै C .. ...
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