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________________ अपभ्रंश साहित्य में कृष्णकाव्य को कमल मैट किए गए तब उसने नन्दपुत्र के सहित सभी गोपकुमारों को मल्लयुद्ध के लिए उपस्थित होने का आदेश दिया । अपने बहुत से मल्लों को उसने युद्ध के लिए तयार रखा। कंस का मलिन आशय जान कर वसुदेव ने भी मिलन के निमित्त से अपने नव भाईओं को मथरा में बुला लिया। बलराम गोंकुल गए और कृष्ण को अपने सही मात-पिता, कुल आदि घटनामों से परिचित किया । इससे दृष्ट हो कर कृष्ण कंस का संहार करने को उत्सुक हो उठे । दोनों भाई मल्लवेश धारण करके मथुरा की ओर चले । मार्ग में कंस से अनुरक्त तीन असुरों ने क्रमशः नाग के. गधे के और अश्व के रूप में उनको रोकने का प्रयास किया । कष्ण ने तोनों का नाश कर दिया । मथुरा के मगरद्वार पर कृष्ण और बलराम जब आ पहुंचे तब उनके उपर कंस के आदेश से चम्पक और पादाभर नामक दो मदमस हाथी छोरे गए। बलराम ने चम्पक को और कृष्ण ने पादाभर को दाँत उखाइके मार डाला। नगरप्रवेश करके वे अखाडे में आए। बलराम ने इसारे से कृष्ण को वसुदेव, अन्य दशाह. कंस आदि की पहचान करवाई। कंसने चाणूर भोर मुष्टिक इन दो प्रचण्ड मलों को कृष्ण के पास भेजा । किन्तु कृष्ण में एक सहस्र सिंह और बलराम में एक सहस हाथी का बल था । तो कृष्ण ने चाणूर को भींच कर मार डाला और बलराम ने मुहिक प्राण मुधिप्रहार से हर लिए । इतने में स्वयं कंस तीक्ष्ण खड्ग लेकर सामने भाया। कृष्ण ने लाग छीन लिया, कंस को पृथ्वी पर पटक दिया, उसे पैरों से पकड़ कर पत्थर पर पछार कर मार डाला,'४ और एक प्रचण्ड अहहास्य किया । भाक्रमण करने को खड़ी हुई कसकी सेना को बलराम ने मंच का खंभा उखाड़ कर प्रहार करके भगा दिया । कृष्ण पिता और स्वजनों से मिला । उग्रसेन को बन्धनमुक्त किया और उसको मथुरा के सिंहासन पर फिर से बैठाया। जीवद्यशा जरासन्ध के पास चली गई। कृष्ण ने विद्याधरकुमारी सत्यभामा के साथ भीर बलराम ने रेवती के साथ विवाह किया । १२. त्रिन में सर्पशय्या पर आरोहण और कालियमर्दन इन पराक्रमों के पहले जबकि कृष्ण . ग्यारह साल के थे तब ये पराक्रम करने को बात है। त्रिच० के अनुसार कृष्ण की कसोटो के लिए ज्योतिषी के कहने पर केस अरिष्ट नामक वृषभ को, केशी नाम अश्व को, एक खर को और. एक मेष को कृष्ण की ओर मेजता है। इन सब को कृष्ण मार डालते हैं । ज्योतिषीने कसको कहा था कि जो इनको मारेगा वही कालिय का मर्दन करेगा, मल्लों का नाश करेगा और कंसकी भी हत्या करेगा। १३. त्रिच० में पादाभर' के स्थान पर 'पद्मोत्तर' ऐसा नाम है। २४. त्रिच. के अनुसार प्रथम कस कृष्ण और बलराम को मार डालने का अपने सैनिकों को आदेश देता है । तब कृष्ण कूद कर मंच पर पहुँचता है और केशों से खींच कर कंस को नीचे पटकते हैं। बाद में चरणप्रहार से उसका सिर कुचल कर उसको मण्डप से बहार फेंक देते हैं। १५. त्रिच० के अनुसार सत्यभाभा कस की ही बहन थी। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520760
Book TitleSambodhi 1981 Vol 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1981
Total Pages340
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size8 MB
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