SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 222
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ म. विनयसागर ५१. पार्श्वनाथ सोपारपुर सोपारक ५२. ,, रूणनगर ५३. ,, उरुगल प्रतिष्ठानपुर प्रतिष्ठान ५५. नेमिनाथ सेतुबन्ध सेतुबन्ध ५६. महावीर वटपद्र वटपद्र नागलपुर ५८. ,, अ(१)ष्टकारिका ५९. ," जालन्धर जालन्धर ६० ,, देवपालपुर देपालपुर ६१. ,, देवगिरि ६२. शान्तिनाथ चारूप चारूप ६३. नेमिनाथ द्रोणपुर ६४." रत्नपुर रत्नपुर ६५. अजितनाथ अबुकपुर ( अर्बुद ) ६६. मल्लिनाथ कोरण्टक कोरण्ट ६७. पार्श्वनाथ ढोरसमुद्र पशुसागर ६८. ," सरस्वतीपत्तन भारतीपत्तन ६९. शान्तिनाथ शत्रु जय शत्रुजय ७०. आदिनाथ तारापुर तारापुर ७१. मुनिसुव्रत वर्धमानपुर वर्धमानपुर ७२. आदिनाथ वटपद्र (वटपद्र) ७३. ,, गोगुपुर गोगपुर ७४. चन्द्रप्रभ पिच्छन ७५. नेमिनाथ ओंकार ( नगर) ओंकार मान्धातृपुर (मान्धातृपुर) विक्कन ७८. आदिनाथ चेलकपुर इस तालिका से स्पष्ट है कि स्तोत्र में प्राप्त ७८ स्थानों में सुकृतसागर काव्य में ४६ स्थान और तीन स्थानों-मुकुटिकापुर (मकुडी ), २ वटप्रद्र और ३ मान्धातृपुर में २-३ मन्दिरों का निर्माण होने से कुल ४९ स्थानों का उल्लेख मात्र है, और 'इत्यादि' करके शेष २९ स्थानों का उल्लेख नहीं है। स्तोत्रकार सोमतिलकसूरि का समय वि० सं० १३३५ से १४२४ तक है और पेथड़ के सुकृत कार्यों का कार्यकाल १३१८ से १३३८ है। अर्थात् पेथद के समय में ही स्तोत्रकार का जन्म हो चुका था, सम-पामायिक थे । साथ ही पेयड़ के सद्गुरु धर्मधोषपूरि. थे और उन्हीं के पौत्र पटवर स्तोत्रकार थे । अतरव यह मानना अधिक युक्तिसंगत होगा कि पेथड़ ने ७५ स्थानों पर ७८ जिन मन्दिरों का निर्माण करवाया था न कि ८४ । ७६." ७७. " Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520760
Book TitleSambodhi 1981 Vol 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1981
Total Pages340
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy