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पाइय-सह-महण्णवो में अनुपलब्ध वसुदेवहिण्डी की शब्दा
वाणिज्जेऊग (१४६.७) वाणिज्यं कृत्वा = व्यापार करके वायमिंग (१८९.२७) वातमृग = हवा में उड़ने वाला मृग ०विउरुग्व (११७.३) विकुर्व् = दिव्य शक्ति से बनावटी शरीर बनाना विक्कम (१२९.२४) विक्रम = चरण
विखुज्जी कय ( ९५.२) विकुब्ज कृत = कूबड रहित किया हुआ विदिट्ठ (११२.३०) विद्विष्ट = धिक्कारप्राप्त
• विवाड (१९०.१५, १२२.२८) विपादय् = मार डालना
० विहग ( १४५.१९) विभन्न = भागा हुआ
वाहिणी ( १४१.७) वैवाहिनी = ब्याहिन, समधिनी (गुज. वेवाण )
० वुच्छ (९२.२२; १४१.१२) वसित ( वस्त* ) = रहा या बसा हुआ ( पाली भाषा में वुत्थ; स्त=च्छं अथवा त्थ)
वुढगा ( ९९.७) वृद्धिका वृद्धा, बुढ़िया
० वृग (१६८.९) वृक=बक, बगला
वेकड (१०६.७) वैकृत = शराब (पासम. विअड = मद्य )
वेदिक (१८२.१६) वैदिक = वेद सम्बन्धी
वेयाली (४९.६) (१)= समुद्रतट
वैवाहिग (८२.५) वैवाहिक = समधी (गुज. वेवाई)
वोज्झ (९४.२४) (१) = सुबह
० गिज्झ (१२१.१३) संग्राह्य = ग्रहण करने जैसा संघस (१३२.९.) संघर्ष = स्पर्धा
संजअ (११९.१) सञ्जय = युद्ध ( युद्ध में विजय )
संजत्तग (११६.२५) सांयात्रिक = जहाज से यात्रा करने वाला
संजत्तय (१४५.२९) ""
""
संतग ( ९४.४) संतिक, सरक=म्बंधी, अपना ही
संताक (१३४. १) संत्राणक = कल्पवृक्ष का एक प्रकार ० संपत्ति (१६.१४) सम्पत्ति = संपदा
साहिय ( १५५. १) संसाधित = पूरा किया या बीता हुआ
संवत्थ ( ८६. ६) संवृत्त = जात, उत्पन्न
सक्कज्झय (१५९.१) शक्रध्वज = इन्द्रध्वज
सकाल (९९.२३) = समयतर, आगामी कल ( मराठी. सकाळि )
सगल (१७६ २३) सकल = सब ( मराठी. सगळ )
समंत (१२१.२) समस्त ( पासम. में पिंगल से उद्धृत है )
समाहि (१४०.२३) समाधि = समाधान
समुदय (१२६.२७) समारंभ, उत्सव
समुद्धत (८१२४) समुद्धमात = फूँका या बजाया हुआ सम्म६ (१८१.२९) सम्मर्द = भीड़ ( मोविसंडि.) ०सादु (१७२.१०) स्वादु = स्वादिष्ट (पासम. साउ)
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