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पाइय - सह - महण्णवो में अनुपलब्ध वसुदेवहिण्डी की शब्दावली
अवरज्जुक (१९९.२७) अपरेद्युः = आगामी कल, सुबह, (अवरज्ज = (देश्य) पासम ० ) अवांकरिय (१६८.२७) अपाकृत्य = दूर फेंककर
अगित ( ९९.२२) अधिकृत = अधिकारी, कोषाध्यक्ष
आकल (११७.५) आकल = निरीक्षण करना
आगमेव्व (१८२.२० ) आगन्तव्य = अध्ययन करने योग्य आडत (१४४.१३) (देश्य ) = धरोहर में रक्खा हुआ आण (७७:५) आनर्त देश
आणाकर (१३४.८) आज्ञाकर = नौकर
आलिक्ख (१७४.२) आलेख्य = चित्रकला
इत्थिगा (१२३.२ ) स्त्रीका=स्त्री
उच्चपसवा (१३३.१७) उच्चप्रसवा = रजस की नाडी ऊँची हो ऐसी स्त्री, जनन कर्म के लिए अयोग्य
उच्चावग (१७४.९)= ठग (देखो. गुज. उचापत = ठगाई) उच्चोली (१४८.१०) (देश्य ) = झोली
उदिक्ख (१४.१६) उदीक्ष = प्रतीक्षा करना
उद्धत (१४५ १८ ) ( उदूध्मात ), फूंका हुआ, बजाया हुआ उप्परसय (१०९,१६) उत्पश्यत = तलाश करो
उप्पालिय (१३८.१६) उत्पादित = खींचा हुआ, निकाला गया
उरोह ( ८३.१) ओरोह, अवरोध = अन्तःपुर
उवउक्खित्त (१०२.२९) उप + उत् + क्षिप्त = ऊँचे उछला हुआ
*उवगिज्झमाण (१३.२१) उपगृह्यमाण = आसक्त किया जाता हुआ
उक्छुभ (१४५.१२) उपक्षिपू - मंगवाना, एकत्रित करना
• उवय ( उवयंत = अवपतत् १३८. २; उवयति = अवपतति १९५.१७) अंवपत् नीचे पड़ना उवाय (१२४.२७, २९) उपायन = भेंट
उसभसामि (१८५.२) ऋषभस्वामी =प्रथम तीर्थंकर ऋषभ
उसमसिरी (१८६.१२) ऋषमश्री = प्रथम तीर्थंकर ऋषम
उसर ( १०२.७) उत्सु =दूर हो जाना, सरकना, (पासम. ओसर )
उसारिय (१३२.७) उत्सारित = दूर किया गया ( पासम. ओसारिय)
उड्रावणा (१०२.४) अपभावना, अपहापना = तिरस्कार, लघुता ( पासम. ओहावणा)
ओसोविय (१७८.३० ) अवस्वापित = नीद्राधीन किया हुआ
कटयिय (१४३. १५) कंटकित * = रोमांचित (देखो नायकुमारचरिउ, १.९.२ धम्माणुराय
कंटकाउ
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कटूट्ठणि (१३८.७) कर्षणि= खरोंच, खिंचाव, अंकन कट्ठणिमग्ग (१३८.२) कर्षणमार्ग= खोंचने से बनी रेखा
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