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________________ भावक कवि गंगकृत गीतो [१२] राग सवाब ॥ सकळ सदाफल सुललित सार, षडखंड भोगिक शांतिकुमारा वो, आवु साहेली, भाव धरीजइ, सांति जिणेसर पून रचीजइ वो. १ विश्वसेनराया कुलि सिणगारा, अमला राणी कुखि अवतारा वो. २ आ. चऊद रयण नवनिधिभंडारा, चउरासी लक्ष गज तुखारा वो. ३ आ० कतपुरमंडण वंछितपूरण, गंगचु स्वामी विधन सवि चूरइ. ४ आ. इति शांतिनाथ गीतं ॥ [१३] राग सवाब कल्पवृक्ष कामधेन चंतामणि नाम तह्मा, अक्षरा त्रणि रतन लबघि निधान, अइस्या ध्याइजइ गणधर राया, सेवितसुरनरपाया, हुइ तस नर्मल काया. १ दू० सुकल ज्ञान भंडार, तापस तारणहार, अक्षीण लबघिसार, गौतम गणधर सार. २ भइस्या० इंद्रभूति नाम यश मंगल कल्याण कोश, वंछित केवल पामी, गंगचु स्वामी. ३. अइस्या० [१४] राग सवाब चरड भयंकरना भय गंजइ, भोगी देव भवसंकट भंजइ, वंदु श्रीजीराउल जिम सुद्धि लहीइ, जागतू तीरथ त्रिभुवनि कहीइ. १ जे समरइ तेह वंछित पूरइ, रोग शोग दुख दारिद्र चरइ. २ वंदु श्री० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520758
Book TitleSambodhi 1979 Vol 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages392
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size8 MB
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