SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 240
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनेतर प्राचीन गुजराती कविओनी केटलीक अप्रकट रचनाओ संपादक : भोगीलाल ज. सांडेसरा Master युनिवर्सिटीना गुजराती विभागमां नं. १२७नी हस्तलिखित संग्रहपोथी एक गुटकारूपे छे अने जुनी गुजराती जैन रासाओं, स्तत्रनो, सज्झायो, गीतो आदिनो विशिष्ट संग्रह एमां छे. केटलाक रासाओ के अन्य कृतिओनी अंतिम पुष्पिकाओमां ते ते कृति भुवनवल्लभराणि नामे जैन साधुए स. १५५९ अने सं . १५६० मां नकल करो होवानो उल्लेख होई (अने आखीए संग्रहपोथी एक ज हस्ताक्षरमां लखायेल होई) बाकीनी रचनाओनी नकल पण ए अरसामां थई हशे ए स्पष्ट छे. जैन कृतिओनी बच्चे बच्चे केटलांक अपवादरूप जैनेतर पदो के गीतो पण लखायेलां छे. विक्रमना सोळमा सैकामां के स्थार पहेलां रचायेली जैनेतर प्राचीन गुजराती कृतिओ आ जुनी हस्तप्रतोमां सचवायेली होय एवं जवल्ले जोवा मळे छे. आधी प्रस्तुत गुटकामांनी जैनेतर रचनाओ अह प्रगट करी छे, जे अभ्यासीओने रसप्रद थशे एवी आशा छे. नीचे प्रमाणे पांच जैनेतर काव्यो एमां छे. अज्ञात कविकृत 'सत्यभामा गीत' पत्र ९ - A उपर छे. श्रीकृष्णनी पट्टराणी ओमांनां एक सत्यभामाए स्वर्गना पारिजातक पुष्प निमित्ते लीघेलां रूसणांनो पुराणप्रसिद्ध प्रसंग आ गीतमां निरूपायो छे. 'सत्यभामानुं रूसणु' ए विषय उपर अनेक जुना कविओए लख्युं छे; नरसिंह, भाण, मांडण, मीरां बाई, गोविन्दराम, नरभेराम, वल्लभ, शवजी, आदिनी ए विषेनी कृतिओ छे (जुओ के. का. शास्त्रीकृत 'गुजराती हाथप्रतोनी संकलित वादी' पृ. ३४७) प्रस्तुत गीत निदान नरसिंह - भालणना समय जेटलु-संभवतः ए करता ये-जूनुं होई शके. एना रचनाकाळनी पूर्वमर्यादा आपणे निश्चितपणे जाणता नथी. आ गीत अज्ञातकर्तृक जणाय छे - सिवाय के छेल्ली पंक्तिमांना 'नाथ भगइ' मांना 'नाथ' ने कर्तानो नामोल्लेख गणवामां आवे . (२) हरदासकृत 'गोरी - पामली संवाद' हस्तप्रतना पत्र १४१-B अने १४२ B उपर छे. एनी दस्मी अने चौदमी कडी सूचवे छे के कर्ता हरदास कृष्णभक्त वैष्णव छे. (३) लाखाकृत गीत हस्तप्रतना पत्र १४९ A ऊपर छे. मानवशरीरनी क्षणभंगुरतानी वात करीने कवि अंतकाळे आधार आपवा माटे ईश्वरने प्रार्थना करे छे, (४) सोमकृत 'रंभा - शुक संवाद' हस्तप्रतना पत्र १५२- B ऊपर छे. बालयोगी शुक. देवने लोभाववा माटेना रंभा अप्सराना निष्फळ प्रयत्न विषेता पुराणप्रसिद्ध प्रसंग एमां संवादरूपे निरूपण छे. ( ५ हलू नामे कविए रचेलु गीत हस्तप्रतना पत्र १५४ - B ऊपर छे: एमां कृष्णगोपीना उत्कट श्रृंगारनु निरूपण नरसिंह आदिनां ए प्रकारनां पदशेनी याद आवे छे. हरिदास नामे एक करतां वधु कविओ जूना गुजराती साहित्यमां थया छे. पण ते सर्वे सत्तरमा, अढारमा के ओगणीसमा कामां विद्यमान होई 'गोरी सामली संवाद' रचनार उपयुक्त हरदासथी भिन्न छे. लाक्षा नामे कविए सुबोधपंजरी' सं. जे वैराग्यप्रधान गीत प्रकाशित कयुं छे एनो कर्ता लाखो एथी जुदझे छे. 'सुदामा सार' नामे, सुदामाचरित्र विषेनुं टुंकुं व्याख्यान काव्य, वडोदरा प्राच्य विद्यामन्दिरनी हस्तप्रतने आधारे, श्री मंजुळा मजमुदारे प्रेमानन्दकृत 'सुदामाचरित्र'ना तेमना संपादनना प्रथम परिशिष्ट रूपे छान्छे, एनो कर्ता सोम अहों प्रकट करेला 'रंभा-शुक संवाद'ना कर्ताथी अभिन्न ह १६३८ मां रची होई अहीं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520758
Book TitleSambodhi 1979 Vol 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages392
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy