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इतिहास स्वरूप अने तेनी प्रासंगिकता
विश्वप्रेमनी भावना पण केळवे. आ कार्यमा इतिहासनो शिक्षक खूप महत्त्वनो भाग भनवी शके के. प्रोढ शिक्षणना भांग रूखे, इतिहासको शिक्षक लोकोने भारतीय संस्कृति अने दुनियाना इतिसानो पग परिचम आपी सके तेम छे. साये साथे शाळा, कोलेज के युनिवर्सिटी कमाए प्रापखामां आवत इतिहासास शिक्षणना स्वरूप मज अभिगममां पण मूळभूत सते फेरकारमा मानश्यक छ बळी ए ठसामबानी पण बरूर के इतिहासना अभ्यास वगर मानव-विद्या अमे समाज-विद्यानी कोई पण शाखाको विकास साचा अर्थमा न थइ शके. परन्तु तेम करवा माटे अविहासना अभ्यासक्रममा समाप्रशास्त्रो अने मानवविद्याओना आंतरसंबंधनो पण योग्य रीते समादेश करको जरूरी गणाशे. वळी इतिहासनो अभ्यास वर्तमानने ज अनुलक्षीने थवो घटे.नहीलर इतिहासनो अभ्यास तेनी प्रासंगिकता गुमावशे, ए रोते जोतां इतिहासना अभ्यासनो शरमात भूतकाळमाथो वर्तमान तरफना वहेणना संदर्भमां संपूर्ण रीते न करतां थोडा प्रमाणमा वर्तमानली भूतकाळना प्रवाह तरफ करवी पण योग्य मणाशे. कदाच आ विधानने विचित्र अने विसंमत गणवामां आवे, परन्तु ज्यां सुधी वर्तमान परिस्थितिना नक्कर स्वरूपना अभ्यास पर भार भूकवामां नहीं आवे त्यां सुधी भूतकाळने पण जीवंत स्वरूप आपी नहीं शकाय. प्रवर्तमान स्थितिना
आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिक के पछी राजकीय परिबळोना आंतर-संबंधो विशेगी पकड इतिहासना अभ्यासीए प्रथम मेळववी पडशे. कारण के अनेकांतवादी दृष्किोणथी वर्तमान परिस्थितिना मस्पर्शी अभ्यासनी आवश्यकता ज भूतकाळमां विशेष रस पेदा करशे..
__ आधुनिक युगमां वैज्ञानिक शोधखोळ, औद्योगिक क्रांति, साम्राज्यवाद, संस्थानवाद अने तेनां परिणामस्वरूप बे विश्वयुद्धोए आजे जे परिस्थिति सी छे तेने लीधे मानवसंबंधोमा परिवर्तननी .गति खुब झडपी बनी छे. अणुशस्त्रो अने अवकाशविज्ञानना आपणा युगे नवा पड कारा पेदा - कर्या छे. आजे दुनियाना विद्वान अर्थशास्त्रीओना एक जूथे (Rome club) The L
mits to Growth नामना पुस्तकमां भौतिक के आर्थिक विकासनी मर्यादाभोलो सात आप्यो छे. ते ज रीते महान इतिहासकार टोयन्वीना Surviving Future मां मानवपातने चेतवणी आपवामां आवी छे के जो पृथ्वी परनी कुदरती संपचिनो उपयोग खोड़ी जरुरियातो (false wants)नी पोषक समृद्धिनी आंधळी दोट पाछळ करवामां आवशे तो ते कहेवाती प्रगति मानवजात माटे आत्मघातक नीवडशे. आज अमेरिकानी वस्ती दुनियानी कुलवस्तीना छ टका होवा छतां ते दुनियाना उत्पादन माटे वपरातां साधनोना ५० टका जेटलां साधनोनी उपयोग करे छे. वळी ए पण भूलवु न जोइए के बीजा विश्वयुद्धना अंत पछी थी लइने १९७६ सुधीमा समय दरम्यान कुल १३३ जेटलां नानां मोटां युद्ध थयां छे अने ते पण गरीब देशी बच्चे ज थयां छे. ते परथी एक वस्तु स्पष्ट वाय छे के इतिहासनो गंभीर अम्बाती फक्त भूतकाळ न वागोळतां कृत्रिम समृद्धि, वस्तीवधारो, भूखमरी अने वायुप्रदूषण जन्मावनारी वर्तमान परिस्थितिनी गंभीरता समजवा प्रथम प्रयास करशे. प्रवर्तमान परिस्थितिना बनावो के घटनाओने इतिहासना अभ्यासी के संशोधनकारथी अडकाय नहीं ते प्रकारनी चोखलियावृत्तिमांथी बहार आवg पडशे. अत्यारे मानवजात इति हासना त्रिभेटा पर कभी छे. तेनो समक्ष कइ दिशामा जवु तेनी पसे दगी करवानी गंभीर जबाबदारी छे. ए पसंदगी माटे जीवंत भूतकाळ ज इतिहासनी प्रासंमिकता पेदा करशे.
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