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________________ ३२ आर. एल. रावल घटे के जेथी आपणे सामाजिक संबंधोमां आपणी जवाबदारीओ विशे विशेष समान रही शकोए. ए रीते जातां इतिहास ए समयना वहेणमां मानव संबंधोमां जवाबदारी ओनो संदर्भ छे. भारत जेवा अविच्छिन्न सांस्कृतिक वारसो धरावनार देशना इतिहासनी खास विशिष्टता ए रहो छे के आपणा समाजे कंइक अंशे ऐतिहासिक मूल्योने आत्मसात (internalise) कर्या छे भारतीय समाजने जीवनमा प्रेरणा मेळवा माटे पश्रिमना समाजो जेटलां पूतळां के म्युझियमनी जरूर पडी नथी. इतिहास-चेतनाने जगाववामां आ बधां साधनानु महत्त्व छे ज, परन्तु जीवंत अतीतने आत्मसात करनार आपणा समाजे कला, स्थापत्य तेमज गाथा ओ, लोकगीतो, साहित्य के वार्ताओ अने प्रणालिओ द्वारा इतिहासनी सभानता थोडा या घणे अंशे जाळवी राखी छे. तेथी आपणा समाजमां इतिहासने लोकप्रिय बनाववा माटेनो प्रयास जीवंत इतिहासने बदले फक्त शुष्क बौद्धिक दृष्टिकोणथो इतिहासने जोवाना प्रयासमा न परिणमे ते जावानी बरूर छे. कारण के ए परिस्थितिमा इतिहास फक्त बौद्धिकोना रसनो विषय बनशे परन्तु तेमां समाजनो धबकतो अात्मा नहीं होय. आपणा बौद्धिकोए इतिहासनो अभ्यास विशेष करीने Europocentric view point- पाश्चात्यसमाज-केन्द्रो दृष्टिकोणथी ज को छे. आ दृष्टिकोण अंग्रेजी शासन दरम्यान आपणा मानस पर ठसाववामां आप्यो छे, अने हबी पण तेमांथी आपणे मुक्त थया नथी. जो के तेनी साथे आपणे ए पण काळजी राखवी घटे के इतिहासने नामे .. पोषवामां आवती भ्रमणा तथा आपणी प्राचीन संस्कृतिना भव्य पुरुषार्थनी मूडी पर हाथपग बांधोने बेसी रहे बानी वृत्ति आत्मघातक न बने. भूतकाळ नां बधु सारु ज हतुं एवा रूपालो मिथ्याभिमानने पोषे छे. तेमांथो आत्मवंचनानो रुपाल पेदा थाय छे. परन्तु आपणे जे अर्थमा इतिहास-चेतनानी चर्चा करीए छीए ते तो जवाबदारीभर्या जीवनने छत करे छे. वळी जेने आपणे भूतकाळनी कल्पित वातो कहीए छीए ते भले ऐतिहासिक पद्धतिना गळणामांथो पसार न थती होय तेम छतां घणीवार आ कल्पनाओए भारतीय समाजना इतिहासने घडवानां खूब महत्त्वनो फाळो आप्यो छे. रामायण के महाभारतनी केटलीये घटनाओ के प्रसंगो ऐतिहासिक प्रमाणभूततानी दृष्टिए कल्पित गणाय, परन्तु आ प्रसंगोए आपणा समाजमां जे सांस्कृतिक वायुमंडळ (cultural ethos) पेदा कर्यु छे अने तेना द्वारा जे मूल्यो प्रस्थापित कर्या छे तेनी समाज पर पडेली असर तो नक्कर छे तेने। स्वीकार करवो घटे. १८५७ ना विप्लबने भले आजना इतिहासकारो के समाजशास्त्रीओ नवां अने जूनां मूल्यो वच्चेनु घर्षण अने सामंतशाही मूल्यो पर रचायेला समाजने टकाववाना छेल्ला प्रयास तरीके घटावे, तेम छतां आ विप्लवे भारतना स्वातंत्र्य संग्रामना प्रेरक तरीके अने स्वातंत्र्य सैनानीओना ध्रुवतारक तरीके काम कर्यु छे ते पण हकीकत छे. आम इतिहास-चेतनाने समग्र रीते लक्षमां लइए छीए त्यारे इतिहासनी लोकप्रियतानो मापदंड फक्त शाळा के कोलेजमां इतिहास विषय लइने भणनारा विद्यार्थी मोनी संख्या अने तेमने मळती नोकरीनी तको परथी नक्की न थाय. तेम छतां, इतिहास-चेतनाना फेलावा माटे शाळाकोलेज, के युनिवसिटी कक्षाए इतिहासना शिक्षकनी जबाबदारी ओछी थतो नथी. दरेक गाम के शहेरनो इतिहास ते गाम के शहेरनी विशिष्टता अने ऐतिहासिक दृष्टिए महत्त्वना तेना अवशेषो जाळवी राखवा माटे, शाला के कोलेज अने ग्रामपंचायत के म्युनिसिपालिटी वच्चेना सहकारथी एक एकम पण ऊभुकरी शकीय. आम दरेक गाम के शहेर देशना इतिहासना संदर्भमा पोताना इतिहास विशे सभानता केळवे एटलुज नहिं बल्के ते द्वारा देशप्रेम अने Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520758
Book TitleSambodhi 1979 Vol 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1979
Total Pages392
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size8 MB
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