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श्लेष अलंकारर्नु स्वरूप (जगन्नाथ अने अन्य आलंकारिको)
चित्रा प्र० शुक्ल पंडितराज जगन्नाथे प्रलेषनी व्यख्या आ प्रमाणे आपी छेः श्रुत्यैकयानेकार्थप्रतिपादनं श्लेषः। . एक ज श्रुतिथी अनेक अर्थानु प्रतिपादन थाय त्यारे लेष अलंकार थाय. ग्लेषना प्रथम बे प्रकारो पाडवामां आव्या छे : (१). ज्यारे घणा धर्मो होय (२) ज्यारे एक ज धर्म होय. बीजा प्रकारने शुद्धश्लेष कहेवामां आवे छे. प्रथम प्रकारना बे पेटाप्रकारो पाडवामां आवे छेः (क) घणा शब्दोनी प्रतीति थाय (ख) मात्र एक ज शब्दनी प्रतीति थाय. (क)ने पंडितराज सभंगश्लेष एवं नाम आपे छे अने (ख)ने अभंगश्लेष एवं नाम आपे छे. त्रणे प्रकारोमा (१) बंने अर्थो प्रकृत होई शके, (२) बने अर्थो अप्रकृत होई शके (३) एक अर्थ प्रकृत अने बीजो अर्थ अप्रकृत होई शके. आ त्रणे प्रकारोमां विशेषणवाचक शब्दो तो श्लिष्ट ज होवा. . जोइए, परन्तु बने अर्थो ज्यारे प्रकृत होय के बंने अर्थो ज्यारे अप्रकृत होय त्यारे विशेष्यवाचक शब्द श्लिष्ट होई शके. तेम न होय तो पण चाले. परंतु एक अर्थ प्रकृत अने बीजो अर्थ अपकृत होय ते प्रकारमा प्रकृत अने अप्रकृत धर्मी माटे बे भिन्न शब्दो होवा जोईए. .
पंडितराजे आपेलां उदाहरणोमांथी केटलांक उदाहरणो आपणे जोइए. सभंगश्लेषनु उदाहरण नीचे मुजब छे:
संभूत्यर्थं सकलजगतो विष्णुनाभिप्रपन्नं यन्नालं स त्रिभुवनगुरुर्वेदनाथो विरिञ्चिः । ध्येय धन्यालिभिरतितरां स्वप्रकाशस्वरूपं पद्माख्यं तकिमपि ललितं वस्तु वस्तुष्टयेऽस्तु ।।
अहीं विशेष्यवाचक शब्द 'पद्माख्यं' लक्ष्मी अने कमळ एवा बे अर्थो आपे छे. आ बंने अर्थाने प्रकृत गणी शकाय. आ बने विशेष्योने अनुरूप थाय ते रीते. विशेषणोने बे भिन्न रोते योजवां पडशे. पहेलु विशेषण 'विष्णुनाभिप्रपन्नं' लक्ष्मीना संदर्भमा 'विष्णुना, अभिप्रपन्नं' अने कमळना संदर्भमां 'विष्णुनाभौ प्रपन्नं' एवा बे अर्थो आपशे. 'यन्नालं' शब्द लक्ष्मी साथे 'यस्मात् न अलं' अने कमळ साथे 'यस्य नालं' ए रीते समजवानो रहेशे. 'धन्यालिभिः-धन्यानां (धनिकानां) आलिभिः (
पंक्तभिः)' एवी रीते लक्ष्मी साथे, अने 'धन्यैः अलिभिः (भ्रमरैः) ए रीते समजवानो रहेशे. विशेष्य अने विशेषण बनेमां शब्दोने बे भिन्न रीते भांगवामां आवतां एक ज श्रतिमांथी बे अर्थोनी प्रतीति थई. तेथी आ सभंगश्लेषनु उदाहरण थयु. अभंगलेषनु उदाहरण नीचे प्रमाणे छः
करकलितघटनो नित्यं पीताम्बरस्तमोऽरातिः । निजसेविजाऽयनाशनचुतरो हरिरस्तु भूतये भवताम् । विशेष्य 'हरिः', सूर्य अने विष्णु एवा बे अर्थो आपे छे. कर एटले किरण अने हाथ एवा बे अर्थो थशे. चक्र एटले कालचक्र अने सुदर्शनचक्र. पीताम्बरमां अम्बर एटले आकाश अने अम्बर एटले वस्त्र एवा बे अर्थो थशे. तमः एटले अंधकार तेम ज राहु. जाडय एटले ठंडी अने अज्ञान, कर, अम्बर, जाड्य अने हरि शब्दोने भांगवा पडता नथी तेथो आ अभंगलेषनु उदाहरण थयु.
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