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दलसुख मालवणिया
वर्धमानशिक्षासप्तशती, कर्ता श्री चादन मुनि, प्र. सर्वधर्म मानव मंदिर, विरलानगर, ग्वालियर, ई. १९७६, म्० १६ रूपये. प्रस्तुत पुस्तकमें भगवान महावीर के जैनागमगत उपदेशों को संस्कृतमे ७०० कारिकाओं में संग्रहीत कर दिया है । गाहासत्तसई हालकी ७०० गाथामें है अतएव इसमें भी ७०० कारिकाए लिखी गई । पुस्तकका हिन्दी अनुवाद भी दे दिया है, अतएव उसकी उपयोगिता बढ़ गई हैं । प्राकृत में 'समणसुत्त' नामसे मुळ गाथाओंका संग्रह सर्व सेवा संघ, वाराणसीने हिन्दी अनुवाद के साथ प्रकाशित किया है । किन्तु यह संग्राह साधारण पाठकों की दृष्टिसे अत्यंत उगयोगी सिद्ध होगा ।
स्मृतिग्रन्थ - महामनस्वी आचार्यश्री कालूगणी-स स्कृत-प्राकृत जैन व्याकरण और कोशकी परम्परा-संपादक मंडल-मुनिश्री चन्दनमल, मुनिश्री नथमल आदि, प्र० आचार्यश्री का ठूगणी जन्मशताब्दी समारोह समिति, छापर (राज.) ई. १९७७, मू. ४५ रूपिये । श्री पूज्य कालगणीकी जन्मशताब्दीके निमित्त यह ग्रन्थ प्रकाशित किया गया। इसमें अनेक विद्वानोंके जैन व्याकरण और कोश संबंधी लेखोंका संग्रह इस लिए किया गया कि इन विषयमे, जैनोंके प्रदानका पता चले । .