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अगरचंद नाहटा
। घात ॥
पुहवि पयडउ पुवि पयड उ महिम मज्जाय मयरहरु लोढा - कुलिहिँ मनिहाणु मालउ पसिद्धउ कालगरु तसु तणउ तयणु सुयणु लखमणु समिद्धउ देऊ संभव सुक्रिय-निहि मालउ महियल- चंदु तसु नंदणु सलण लहइ खीमागरु साणंदु || १॥
प्रथम भाषा
अह वड- गच्छ मुणिसेहरसूरे, असुह नाभि जसु नासई दूरे । तासु पट्टि उज्जोय-करो । सिरि सिरितिलयसूरि गणहरो ॥ गुरू गुण छत्तीसह भंडारी, पाव-पंक-परिहरण- परो ॥१॥ re भद्देरसूरि वखाणि, रंजिय जिणि जण आगम-वाणि । तसु पट्टिहिं पुहविहिं पयड़ो । सुगुरु मुणी सरसूरि विहीत जिणि रणि मयण- महाभड जीतउ । रत्नप्रभसूरि पट्टि तसु ॥२॥ मुणिसरसूरि-वणि जिण धम्मु, खोमचंद आयरइ सुरम्मु सयल लोय सोहइ सुपरो ।
अन्न- दिवस चितवs सुचित्ते, वित्थारउ निम्मल-कुल- कित्ते, सेतुं ऊजिलि जिणि नमउं ॥ ३॥
वलि निज परियण-स्य कार मंतु, संधु सयल पूछियउ तुरंतु; करि पसाउ सहु सावहउं ।
सुहगुर स्वमासमणु तर आपइ, हियइ कमलि सुह भावण थापइ; राइ हंबीर समाणिओ || ४ ||
चउदह सह सत्यासी वरिले, माह घवल पंचमि गुरु हरिसे; देवाल सिरि संति जिणु ।
प्रतिठिउ पावहरणु सुह-निलउ, खीमराजु संघाहिव -तिलउ, कुंकुंत्री पुरि पाठवए ॥ ५ ॥
देवराजु साजण संघवए, साहणु मिव रुहं (?) सुसज हवए; सहजराजु रणसीह तह ।
घोधू हीर पमुह देवाल, अवर असंख हुया सिजवाल: बाल रति रासु रसिहिं ॥ ६ ॥