SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 354
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५६ अगरचंद नाहटा । घात ॥ पुहवि पयडउ पुवि पयड उ महिम मज्जाय मयरहरु लोढा - कुलिहिँ मनिहाणु मालउ पसिद्धउ कालगरु तसु तणउ तयणु सुयणु लखमणु समिद्धउ देऊ संभव सुक्रिय-निहि मालउ महियल- चंदु तसु नंदणु सलण लहइ खीमागरु साणंदु || १॥ प्रथम भाषा अह वड- गच्छ मुणिसेहरसूरे, असुह नाभि जसु नासई दूरे । तासु पट्टि उज्जोय-करो । सिरि सिरितिलयसूरि गणहरो ॥ गुरू गुण छत्तीसह भंडारी, पाव-पंक-परिहरण- परो ॥१॥ re भद्देरसूरि वखाणि, रंजिय जिणि जण आगम-वाणि । तसु पट्टिहिं पुहविहिं पयड़ो । सुगुरु मुणी सरसूरि विहीत जिणि रणि मयण- महाभड जीतउ । रत्नप्रभसूरि पट्टि तसु ॥२॥ मुणिसरसूरि-वणि जिण धम्मु, खोमचंद आयरइ सुरम्मु सयल लोय सोहइ सुपरो । अन्न- दिवस चितवs सुचित्ते, वित्थारउ निम्मल-कुल- कित्ते, सेतुं ऊजिलि जिणि नमउं ॥ ३॥ वलि निज परियण-स्य कार मंतु, संधु सयल पूछियउ तुरंतु; करि पसाउ सहु सावहउं । सुहगुर स्वमासमणु तर आपइ, हियइ कमलि सुह भावण थापइ; राइ हंबीर समाणिओ || ४ || चउदह सह सत्यासी वरिले, माह घवल पंचमि गुरु हरिसे; देवाल सिरि संति जिणु । प्रतिठिउ पावहरणु सुह-निलउ, खीमराजु संघाहिव -तिलउ, कुंकुंत्री पुरि पाठवए ॥ ५ ॥ देवराजु साजण संघवए, साहणु मिव रुहं (?) सुसज हवए; सहजराजु रणसीह तह । घोधू हीर पमुह देवाल, अवर असंख हुया सिजवाल: बाल रति रासु रसिहिं ॥ ६ ॥
SR No.520756
Book TitleSambodhi 1977 Vol 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages420
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy