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वसुदेवहिण्डी की शब्दावली
उक्त (३१ २) = उत्क्रान्त
उक्कुट्ठ (२८.२४) उत्क्रुष्ट उदिक्ख (१४.१६) = उदीक्ष उवरय (२२.३) उपरत एत्तिअ (३१.१९) = एतावत्
ओलोयणग (९.६) = अवलोकनक ओहावणा (२१.१७) -अपभावना कझ्याइ (१७.१८) =कदाचित् किसाणु (१६.१२) = कृशानु गिहीअ (३.२९) गृहीत
छुभ (६.१२) = क्षिप् जुव्वण (१९.६) = योवन
डोल (२३ ९) = दोहद तत्ति (३१.७) % तृप्ति
तत्तिल्ल (३१.७) = तृप्तिमत् . दरिद (३०.२४) = दरिद्र
देवर (१२.१) = द्विवर धावी (२७.१२) = धात्री
निच्चल (९.७) = निश्चल निद्धम्म (२२.१२) = निर्धर्मन् निव्वत्तिय (२९.२२) - निर्वर्तित पच्चभियाणिय (२२.१२) = प्रत्यभिज्ञात . पज्जत (३०.१९) = पर्यन्त पासणिअ (२८.१८) = साक्षी पूलय (३२.२३) = पूलक बंभण (३०.१६) ब्राह्मण
भाउग (२२.३) = भ्रातृक भाय (१२.१) = भ्रातृ
मुक्ख (५.१०) = मोक्ष वियाय (३०.२९) = विजनय् विलइय (६६.२६) = ऊपर ले लिया वेसर (१५.१८) = खच्चर
सुणिय (३०.४) = श्रुत
वसुदेवहिण्डी प्रथमखण्ड, श्री आत्मानन्द जैन सभा, भावनगर, १९३०. इस ग्रंथ के पृष्ठ नं. १ से ७६ तक प्राप्त होने वाली ही यह शब्दावली है। पासम=पाइयसद्दमण्णवो; संडिमोवि-संस्कृत इंगलिश डिक्शनरी, मोनियर विलियम्स इस संग्रह में प्रो. भो. ज. सांडेसरा के गुजराती अनुवाद का भी उपयोग किया गया है, एतदर्य मैं समका आभारी हूँ ।