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मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी
(३१) श्वेताम्बर ग्रन्थों में गोवाहना रोहिणी को शर, अक्षमाला, चाप एवं शंख से युक्त बताया गया है ।
(३२) उल्लेखनीय है कि मूर्त अंकनों में महाविद्या गौरी के साथ वाहन गोधा का प्रदर्शन कभी नियमित नहीं रहा है । गौरी के पहचान का मुख्य आधार भुजा में स्थित पद्म ही रहा है ।
( ३३ ) देवी को यक्षी चक्रेश्वरी से पहचानने का आधार यह है कि मंदिर के प्रवेशद्वार की महाविद्या आकृतियों के समूह में महाविद्या अप्रतिचक्रा को परम्परा के अनुरूप ही चारों भुजाओं में चक्र धारण किए प्रदर्शित किया गया है । अतः केवल दो भुजाओं में चक्र धारण करने वाली यक्षी चक्रेश्वरी होनी चाहिये ।