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तरंगलोला
समर-सय-लद्ध-लक्खा आसगुड (?)विद्धाडगा सया विजयी लोगे जत्थ पयासा वसंति तमहं गओ पल्लि ॥१४३६
क
चोर-गण सुहासंगो समर-पयंगो असी-विसमियंगा । वट्टिय-पाव-पसंगो विणासियंगो पर वसूणं ॥१४३७ साहसी चोराण पोसओ तहिं चोर-माउओ चोरो । पायड-भड-सत्तीओ सूरो सत्तिपिओ नाम ॥१४३८ - सो नियय-बाहु-विरियज्जिउज्जियं तस्थ लद्ध-जस-सद्द । भड-लच्छि-पायडं तह सेणावच्वं परं पत्तो ।।१४३९ तस्स य राओ(?) मूलं आभासिय-पूइओ अहं तेण । भड-जण-कय-सम्माणो अच्छामि सुहंअ-परिभूओ ॥ १४४०
तत्थ य ह वसमाणो पत्तो अचिरेण पाव-भड-सहं ।। बहु-समर-करण-विक्कम-समज्जिय-पाव-कित्तीयं ॥१४४१ असि-लट्ठिए पढमल्लारणं(?) मारिउ जणं अदिट्ठ-पट्ठीओ। खुद्दत्तणेण जेट्ठो. भडाण सेणावइस्स अच्छे ॥१४४२ जुझंतमजुझंतं पलायमाणं चए(?) वयंत वा। समरे पंचावडियं अमुंचमाणस्स मे तत्थ ॥१४४३ तो तत्थ पल्लि-भर-वालएहि बलिओ त्ति निरणुकंपो त्ति । जम-सुप्पो(?) त्ति कयं मे पाव-गुणुन्नामकं नामं ॥१४४४ सम्माणिया अ(?) मित्ता संपूइया स-विभवेणं । जूएसु महग्घेसु य अग्घविओ मे तहिं अप्पा ॥१४४५ एव समइच्छइ महं कालो काल-जम-दंड-भूयस्स । पल्ली-वासम्मि तया सवास-नित्तण्ह-हिययस्स ॥१४४६
तत्थण्णया कयाई कम्मं काउं गएहिं चोरेहिं । लद्धं तरुण-मिहुणयं पल्लिमइणियं गहेऊण ॥१४४७ देवीए उठ्ठिा अहिट्ठा चेव सिद्ध मेत्तम्मि । तो तेहिं चोर-सेणावतिणो नीया दुयग्गा वि ॥१४४८ .. पडिदेसिया य सेणावइस्स तरुणो य सा य वर-तरुणी चोराण वि चोरंती रूव-विसेसेण हिययाइं ॥१४४९ तो सा अच्छर-सरिसा इणमो दिण्णा पसु त्ति काऊण । सेणावइणा महिला न कया कच्चाइणि-भएण ॥१४५०