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शान्तिभाई आचार्य
संख्या
शब्दकोश एकभाषी द्विभाषी अंग्रेजी सलग्न संस्कृत संलग्न अपभ्रंशादि हिंदो संलग्न अन्य भारतीय भाषाओ संलग्न अन्य विदेशी भाषाओ संलग्न वर्ण्य विषयना संदर्भमा
कुल १२८ समयनी दृष्टिए प्रारंभथी आजसुधीमां दर वरसे सरेराश १ शब्दकोश बहार पडयो छे । अने छेल्ला पचीसवर्षमां आ प्रवृत्ति तेना आगळना गाळा करतां मंद पडी छे। नीचेनुं विश्लेषण आ वात बहार आणे छ : समयगाळो
कोश-संख्या १८५० पूर्वे १८५१ थी १९०० १९०१ थी १९२५ १९२६ थी १९५०
__ ४८ १९५१ थी १९७३
२५
कुल
१२८ शब्दसंख्यानी दृष्टिए (भगवद्गोमंडळनी २,८१,३७७नी संख्याने सकारण बाजुए राखतां) हजी पोणा लाख शब्दोए पण शब्दकोश पहोंच्यो नथी । ___ जुदाजुदा वर्गो माटेना, जुदाजुदा वर्ण्य विषयोना अने जुदाजुदा कदना कोशोनी संख्या घणी ज अल्प छ। __ आपणी पडोशनी भाषाओ अने बोलीओना सुद्धां शब्दकोशो नहिवत् छ । कोशनी समग्रप्रवृत्तिमा “आ शास्त्रनो विषय छे" तेवु वलण प्रतिबिंबित थतुं नथी ।
आ स्थितिमाथी बहार आववा माटे नीचे मुजबना सूचनो करवामां आवे छे । गुजगतीमां कोशप्रवृत्ति अंगे केटलांक सूचनो :
१. कोशप्रवृत्ति करी शके तेवी क्षमता धरावनारी विद्यासंस्थाओए सामुहिकरीते आ प्रवृत्तिनो विचार करवो जोईए ।
२. गुजराती भाषानो एक सर्वसाधारण मोटो कोश, कोशशास्त्रनां उपलब्ध ज्ञान तथा साधनसामग्रीनो उपयोग करीने रचावो जोईए ।